नितेश और सुमित को स्वर्ण, पैरालम्पिक में भारत के लिये यादगार दिन
मोना
- 03 Sep 2024, 12:41 AM
- Updated: 12:41 AM
पेरिस, दो सितंबर (भाषा) देश की सेना और चैम्पियन क्रिकेटर विराट कोहली से प्रेरित पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी कुमार नितेश ने अपने पदार्पण पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीता जबकि भालाफेंक चैम्पियन सुमित अंतिल के लगातार दूसरा स्वर्ण जीतकर पेरिस पैरालम्पिक में भारत के लिये इस दिन को यादगार बना दिया ।
भारत अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की ओर अग्रसर है । भारत अब तक 14 पदकों के साथ शीर्ष 20 में है । तीन साल पहले तोक्यो पैरालम्पिक में भारत ने 19 पदक जीते थे ।
आईआईटी मंडी से इंजीनियरिंग में स्नातक हरियाणा के 29 साल के नितेश ने अपने मजबूत डिफेंस और सही शॉट चयन की मदद से तोक्यो पैरालंपिक के रजत पदक विजेता बेथेल को एक घंटे और 20 मिनट चले मुकाबले में 21-14 18-21 23-21 से हराया।
बाद में सुमित ने एफ64 भालाफेंक में 70 . 59 मीटर के खेलों के रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता । सोनीपत के 26 वर्ष के विश्व रिकॉर्डधारी सुमित ने अपना ही 68 . 55 मीटर का पैरालम्पिक रिकॉर्ड बेहतर किया जो उन्होंने तीन साल पहले तोक्यो में बनाया था ।
उनका विश्व रिकॉर्ड 73 . 29 मीटर का है । इससे पहले निशानेबाज अवनि लेखरा अपना पैरालम्पिक खिताब बरकरार रखने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी थी ।
भारत के योगेश कथुनिया (एफ56 चक्काफेंक) और बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज और तुलसीमति मुरुगेसन (एसयू5) ने रजत तथा मनीषा रामदास ने महिला एकल एसयू5 स्पर्धा में ही कांस्य पदक जीते ।
नितेश ने स्वर्णिम शुरूआत की :
सुमित के स्वर्ण से पहले नितेश ने पीले तमगे के साथ आगाज किया ।उन्होंने मैच के बाद कहा, ‘‘मैं इस तरह के हालात में इससे पहले उससे हार चुका हूं और आज वही गलती नहीं दोहराना चाहता था । मैं खुद से लगातार यही कहता रहा ।’’
एसएल3 वर्ग के खिलाड़ियों के शरीर के निचले हिस्से में अधिक गंभीर विकार होता है और वह आधी चौड़ाई वाले कोर्ट पर खेलते हैं।
जब नितेश 15 वर्ष के थे तब उन्होंने 2009 में विशाखापत्तनम में एक रेल दुर्घटना में अपना बायां पैर खो दिया था लेकिन वह इस सदमे से उबर गए और पैरा बैडमिंटन को अपनाया। नौसेना अधिकारी के बेटे नितेश ने कभी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए रक्षा बलों में शामिल होने का सपना देखा था। हालांकि दुर्घटना ने उन सपनों को चकनाचूर कर दिया।
उन्होंने फाइनल से पहले कहा था, ‘‘मैं विराट कोहली को भी प्रशंसक हूं क्योंकि जिस तरह से उन्होंने खुद को एक फिट खिलाड़ी में बदल लिया है। वह 2013 से पहले कैसे हुआ करते थे और अब वह कितने फिट और अनुशासित हैं।’’
शीतल और राकेश को तीरंदाजी में कांस्य :
भारतीय तीरंदाज शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन तीरंदाजी स्पर्धा के सेमीफाइनल में हारने की निराशा से उबरते हुए इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156 . 155 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया ।
भारत के लिये पैरालम्पिक में तीरंदाजी का पदक इससे पहले सिर्फ हरविंदर सिंह ने तीन साल पहले तोक्यो में (कांस्य) जीता था ।
शीतल तीरंदाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी जिनके कोच कुलदीप वेधवान दीर्घा से खड़े देख रहे थे ।
भारत को जीत तब मिली जब 17 वर्ष की शीतल का शॉट रिविजन के बाद अपग्रेड कर दिया गया । चार तीर बाकी रहते भारतीय जोड़ी एक अंक से पिछड़ रही थी लेकिन आखिर में संयम के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की ।
भारतीयों ने 10, 9, 10, 10 स्कोर किया जबकि इटली की टीम ने 9, 9, 10, 10 स्कोर किया ।
इससे पहले सेमीफाइनल में भारतीय जोड़ी शूटआफ में ईरान की फातिमा हेमाती और हादी नोरी से हार गई थी ।
भारतीय जोड़ी फाइनल में जगह बनाने के करीब पहुंच गई थी लेकिन ईरानी टीम की शानदार वापसी और एक जज द्वारा स्कोर के रिविजन के बाद उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा ।
स्कोर 152 . 152 से बराबर होने के बाद मुकाबला शूटआफ में गया । ऐसा लग रहा था कि भारतीय जोड़ी ने जीत दर्ज कर ली है जब ईरानी टीम ने चौथे तीर पर नौ स्कोर किया हालांकि जज ने समीक्षा के बाद उसे 10 करार दिया । इससे मुकाबला शूटआफ तक गया ।
शूटआफ में दोनों टीमों ने परफेक्ट स्कोर किया लेकिन फातिमा का तीर बीचोंबीच लगा जिससे ईरानी टीम ने फाइनल में जगह बनाई ।
कथुनिया, सुहास और तुलसीमति को रजत :
भारत के योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों की एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को यहां रजत पदक जीता।
कथुनिया ने इससे पहले तोक्यो पैरालंपिक में भी इस स्पर्धा का रजत पदक जीता था।
इस 27 साल के खिलाड़ी ने अपने पहले प्रयास में मौजूदा सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42.22 मीटर की दूरी तय की। ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने अपने पांचवें प्रयास में 46.86 मीटर की दूरी के साथ इन खेलों का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी की।
एफ 56 वर्ग में भाग ले वाले वाले खिलाड़ी बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते है। इस वर्ग में ऐसे खिलाड़ी होते है जिनके शरीर के निचले हिस्से में विकार होता है और मांसपेशियां कमजोर होती है।
कथुनिया नौ साल की उम्र में ‘गुइलेन-बैरी सिंड्रोम’ से ग्रसित हो गये थे। यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर के अंगों में सुन्नता, झनझनाहट के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और बाद में यह पक्षाघात (पैरालिसिस) का कारण बनता है।
वह बचपन में व्हीलचेयर की मदद से चलते थे लेकिन अपनी मां मीना देवी की मदद से वह बाधाओं पर काबू पाने में सफल रहे। उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी ताकि वह अपने बेटे को फिर से चलने में मदद कर सके।
कथुनिया के पिता भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं।
बैडमिंटन में महिला वर्ग में बाइस साल की शीर्ष वरीय तुलसीमति को फाइनल में चीन की गत चैंपियन यैंग कियू शिया के खिलाफ 17-21 10-21 से हार का सामना करना पड़ा।
दूसरी वरीय मनीषा ने डेनमार्क की तीसरी वरीय कैथरीन रोसेनग्रेन को 21-12 21-8 से हराकर कांस्य पदक जीता।
एसयू5 वर्ग उन खिलाड़ियों के लिए है जिनके ऊपरी अंगों में विकार है। यह खेलने वाले या फिर दूसरे हाथ में हो सकता है।
वहीं सुहास ने पैरालम्पिक खेलों में लगातार दूसरी बार रजत जीता जो पुरूष एकल एसएल4 स्पर्धा के फाइनल में फ्रांस के लुकास माजूर से सीधे गेम में हार गए ।
2007 बैच के आईएएस अधिकारी 41 वर्ष के सुहास को एकतरफा मुकाबले में 9 . 21, 13 . 21 से पराजय झेलनी पड़ी । तोक्यो पैरालम्पिक में तीन साल पहले भी लुकास ने ही सुहास को हराया था ।
बायें टखने में विकार के साथ पैदा हुए सुहास एसएल4 वर्ग में खेलते हैं ।
निशानेबाजी में निराशा :
उधर शेटराउ में भारतीय निशानेबाज निहाल सिंह और आमिर अहमद भट मिश्रित 25 मीटर पिस्टल (एसएच1) स्पर्धा के क्वालीफिकेशन दौर में क्रमश: 10वें और 11वें स्थान पर रहते हुए फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे।
दोनों भारतीयों के प्रदर्शन में क्वालीफिकेशन के पहले चरण में निरंतरता दिखी। प्रीसिजन चरण के बाद निहाल 287 अंक के साथ चौथे जबकि आमिर 286 अंक के साथ आठवें और अंतिम क्वालीफाइंग स्थान पर चल रहे थे।
रेपिड चरण में हालांकि निहाल और आमिर दोनों 282 अंक ही जुटा पाए और कुल क्रमश: 569 और 568 का स्कोर बनाया जो फाइनल में जगह बनाने के लिए पर्याप्त नहीं था।
क्वालीफिकेशन दौर में शीर्ष आठ में रहने वाले निशानेबाज फाइनल में प्रवेश करते हैं।
भाषा