सुमित अंतिल को भालाफेंक एफ64 में स्वर्ण, पैरालम्पिक खिताब बरकरार रखने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने
मोना
- 03 Sep 2024, 12:31 AM
- Updated: 12:31 AM
पेरिस, दो सितंबर (भाषा) स्टार भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल पैरालम्पिक खिताब बरकरार रखने वाले पहले भारतीय पुरूष और देश के दूसरे खिलाड़ी बन गए जिन्होंने एफ64 वर्ग में 70 . 59 मीटर के रिकॉर्ड के साथ पेरिस पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीता ।
सोनीपत के 26 वर्ष के विश्व रिकॉर्डधारी सुमित ने अपना ही 68 . 55 मीटर का पैरालम्पिक रिकॉर्ड बेहतर किया जो उन्होंने तीन साल पहले तोक्यो में बनाया था ।
उनका विश्व रिकॉर्ड 73 . 29 मीटर का है ।
इससे पहले निशानेबाज अवनि लेखरा अपना पैरालम्पिक खिताब बरकरार रखने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी । सुमित और अवनि के अलावा भारतीय पैरालम्पिक समिति के मौजूदा अध्यक्ष देवेंद्र झाझडिया ने 2004 एथेंस और 2016 रियो ओलंपिक में एफ46 भालाफेंक में स्वर्ण पदक जीता था ।
सुमित ने 2023 और 2024 विश्व पैरा चैम्पियनशिप के अलावा हांगझोउ एशियाई पैरा खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था ।
उन्होंने दूसरा ही थ्रो 70 . 59 मीटर का फेंका । इसके अलावा पहला थ्रो 69 . 11 मीटर और पांचवां 69 . 04 मीटर का फेंका था और ये थ्रो भी उनके पिछले पैरालम्पिक रिकॉर्ड से बेहतर थे ।
वह हालांकि 75 मीटर को नहीं छू सके जो पेरिस खेलों से पहले उनका लक्ष्य था ।
श्रीलंका के दुलान के को रजत और आस्ट्रेलिया के माइकल बूरियन को कांस्य पदक मिला । भारत के संदीप 62 . 80 मीटर के साथ चौथे और संदीप संजय सागर 58 . 03 मीटर के साथ सातवें स्थान पर रहे ।
एफ64 वर्ग में वे खिलाड़ी होते हैं जिनके पैरों में विकार होता है जो कृत्रिम पैरों के साथ खेलते हैं या उनके पैरों की लंबाई में फर्क होता है ।
सुमित ने 2015 में एक मोटर बाइक दुर्घटना में अपने बायें पैर के घुटने से नीचे का हिस्सा गंवा दिया था । दिल्ली के रामजस कॉलेज के छात्र सुमित पहलवानी करते थे लेकिन दुर्घटना के बाद उन्हें खेल छोड़ना पड़ा ।
उनके गांव के एक पैरा एथलीट ने 2018 में उन्हें पैरा खेलों में भाग लेने के लिये कहा ।
उन्होंने पटियाला में 2021 में भारतीय ग्रां प्री सीरिज तीन में सक्षम खिलाड़ियों के वर्ग में तोक्यो ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा के साथ भाग लिया । वह 66 . 43 मीटर के साथ सातवें स्थान पर रहे जबकि नीरज ने 88 . 07 मीटर के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण जीता था ।
इससे पहले भारत के योगेश कथुनिया ने पुरुषों की एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को यहां रजत पदक जीता।
कथुनिया ने इससे पहले तोक्यो पैरालंपिक में भी इस स्पर्धा का रजत पदक जीता था।
इस 27 साल के खिलाड़ी ने अपने पहले प्रयास में मौजूदा सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42.22 मीटर की दूरी तय की।
ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने अपने पांचवें प्रयास में 46.86 मीटर की दूरी के साथ इन खेलों का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी की।
यूनान के कंन्स्टेंटिनो तजौनिस ने 41.32 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता।
एफ 56 वर्ग में भाग ले वाले वाले खिलाड़ी बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते है। इस वर्ग में ऐसे खिलाड़ी होते है जिनके शरीर के निचले हिस्से में विकार होता है और मांसपेशियां कमजोर होती है।
कथुनिया नौ साल की उम्र में ‘गुइलेन-बैरी सिंड्रोम’ से ग्रसित हो गये थे। यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर के अंगों में सुन्नता, झनझनाहट के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और बाद में यह पक्षाघात (पैरालिसिस) का कारण बनता है।
वह बचपन में व्हीलचेयर की मदद से चलते थे लेकिन अपनी मां मीना देवी की मदद से वह बाधाओं पर काबू पाने में सफल रहे। उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी ताकि वह अपने बेटे को फिर से चलने में मदद कर सके।
कथुनिया के पिता भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। कथुनिया ने दिल्ली के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया है।
भारत की प्रीति पाल ने रविवार को ट्रैक और फील्ड में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया था । वहीं निषाद कुमार ने पुरूषों की ऊंची कूद टी47 वर्ग में लगातार दूसरा रजत पदक जीता ।
भाषा