उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कोलकाता दुष्कर्म, हत्या पर कुछ एनजीओ की चुप्पी पर सवाल उठाए
धीरज
- 01 Sep 2024, 10:14 PM
- Updated: 10:14 PM
(तस्वीरों के साथ)
देहरादून, एक सितंबर (भाषा) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में कुछ गैर सरकारी संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाए और उस घटना को 'चरम सीमा पर व्यक्त की गयी बर्बरता' बताया।
ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने यह भी कहा कि ऐसी बर्बर घटनाए पूरी सभ्यता को शर्मसार कर देती हैं और उस आदर्श को खंडित कर देती हैं जिसके लिए भारत जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के चयनात्मक मौन की आलोचना करते हुए धनखड़ ने कहा कि छोटी-छोटी घटनाओं पर शोर मचाने वाले कुछ गैर सरकारी संगठन आज 'शांत अवस्था' में हैं।
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उनकी चुप्पी नौ अगस्त 2024 को हुए इस जघन्य अपराध के अपराधियों के कृत्य से भी बदतर है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ जो लोग राजनीति करना चाहते हैं और अच्छे अंक बनाना चाहते हैं, वे अपनी अंतरात्मा की आवाज का जवाब नहीं दे रहे हैं।’’
उप राष्ट्रपति ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग इस घटना पर अपने बयानों से जख्मों पर नमक छिड़कने का काम भी कर रहे हैं।
एक सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा घटना को ‘सिम्पटोमेटिक मलाइस’ बताये जाने का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मैं ऐसी गुमराह आत्माओं से अपने विचारों पर दोबारा विचार करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आह्वान करता हूं।’’
धनखड़ ने कहा कि यह समय राजनीतिक चश्मे से देखने का नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक चश्मा खतरनाक होता है और आपकी निष्पक्षता को खत्म कर देता है।’’
उन्होंने कहा, “हमारी सभ्यता और लोकतांत्रिक मूल्य उस सम्मान से परिभाषित किए जाएंगे जो हम अपनी महिलाओं और लड़कियों को देते हैं।”
धनखड़ ने कहा कि जिसने भी यह किया है, उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा, लेकिन समाज को भी इसके लिए जवाबदेह माना जाएगा। उन्होंने कहा कि समाज अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।
धनखड़ ने कहा कि खुद एक संवैधानिक पद पर होने के नाते उन्हें भी अपनी जवाबदेही दिखानी होगी।
उन्होंने कहा कि देश को एक क्रांतिकारी, सुरक्षित और प्रणालीगत प्रक्रिया अपनानी होगी जिससे भविष्य में मानवता की सेवा में लगे किसी क्षेत्र को कभी कोई खतरा न हो।
वर्ष 2012 में हुए दर्दनाक निर्भया कांड का जिक्र करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस कांड ने देश को हिलाकर रख दिया और कानून में बदलाव हुआ।
उप राष्ट्रपति ने हालांकि कहा कि यह घटना उससे भी आगे हैं। उन्होंने कहा, “ यह ऐसा वक्त है जब पूरी दुनिया हमें देख रही है। हम ऐसा देश हैं जो दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। हमने गर्व से दुनिया के सामने वसुधैव कुटुंबकम पेश किया है।”
उप राष्ट्रपति ने कहा, “ हमारे कुटुंब की बेटी ने जनता की सेवा करने में न दिन देखा और न रात और उसके साथ निमर्मता की अकल्पनीय हद तक (बलात्कार किया गया)... और (फिर) कत्ल हुआ। ”
उन्होंने कहा कि इससे पूरी चिकित्सक बिरादरी, नर्सिंग स्टॉफ, ‘हेल्थ वारियर्स’ चिंता में हैं, परेशानी में हैं और दुखी हैं।
रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की चिंताओं का उल्लेख करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि चीजें आकार लेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘चिंता दूर होनी चाहिए और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसा होगा।’’
लोकतंत्र के सभी हितधारकों के एक जगह पर साथ आने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मानवता की सेवा में लगे इस श्रेणी के लोगों में असुरक्षा खत्म होनी चाहिए। अगर भारत की राष्ट्रपति ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है तो आप मुझसे यह वादा ले सकते हैं कि ऐसा जरूर होगा।’’
भाषा दीप्ति