छत्तीसगढ़: बीएसएफ के दो खाली शिविरों को स्कूल व छात्रावास के रूप में तब्दील किया गया
नोमान नेत्रपाल
- 01 Sep 2024, 04:43 PM
- Updated: 04:43 PM
कांकेर, एक सितंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो खाली शिविरों को बच्चों के लिए स्कूल और छात्रावास में बदल दिया गया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद पर अंकुश लगाने के लिए जिले में बड़े पैमाने पर तैनात बीएसएफ ने अंतागढ़ क्षेत्र के बोंडानार और कधई खोदरा गांवों में स्थित दो शिविरों को खाली कर दिया है, जिन्हें कंपनी संचालन बेस भी कहा जाता है।
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, “बीएसएफ ने माओवादियों के मुख्य क्षेत्रों में आगे बढ़ते हुए अपने बोंडानार शिविर को रावघाट क्षेत्र के पादर गांव में स्थानांतरित कर दिया और कधई खोदरा के शिविर को पड़ोसी नारायणपुर जिले के जंगलों में स्थानांतरित कर दिया है।”
उन्होंने कहा कि बोडानार शिविर की स्थापना 2010 में हुई थी और इसे पिछले साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया था, जबकि कधई खोदरा शिविर की स्थापना 2015 में हुई थी और इसे इस साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया।
अंतागढ़ के अतिरिक्त कलेक्टर बी.एस. उइके ने रविवार को कहा, “खाली किए गए दो शिविरों में से कधई खोदरा गांव के शिविर को मौजूदा शैक्षणिक सत्र से सरकारी हाईस्कूल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि दूसरे को पिछले साल लड़कों के लिए ‘प्री-मैट्रिक’ छात्रावास बना दिया गया है। कधई खोदरा स्कूल में 16 लड़कियों सहित 33 विद्यार्थी नौवीं और 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं। बोंडानार छात्रावास में छठी से 12वीं कक्षा तक के कुल 75 लड़के रहते हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार बस्तर क्षेत्र के सभी जिलों में विभिन्न स्थानों पर पूर्व-निर्मित संरचनाओं का स्कूलों के लिए उपयोग कर रही है, और पूर्व-निर्मित संरचनाओं वाले ये बीएसएफ शिविर शिक्षा संस्थान के रूप में उपयोग के लिए शानदार हैं।
उइके ने बताया कि दोनों शिविरों में बच्चों के लिए खेल का मैदान, पीने का पानी, पुरुषों और महिलाओं के लिए शौचालय सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अंतागढ़) जयप्रकाश बरहाई ने कहा कि दो शिविरों का स्थानांतरण सुरक्षाकर्मियों द्वारा मौजूदा प्रतिष्ठानों के आसपास के क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत किए जाने का नतीजा है और नक्सलियों को पीछे धकेलकर विकास कार्यों को सुविधाजनक बनाया गया है।
बरहाई ने कहा, “वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए धीरे-धीरे और अधिक शिविरों को आंतरिक इलाकों में स्थानांतरित किया जाएगा। यह अच्छी बात है कि प्रशासन खाली किए गए शिविरों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों, खासकर शिक्षा के लिए कर रहा है। एक और खाली किए गए शिविर को बिजली उपकेंद्र के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है।”
शासकीय एनपीजी विज्ञान महाविद्यालय, रायपुर में रक्षा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गिरिशकांत पांडे ने कहा, “यह एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे पहले जब 2009-10 में कांकेर में नक्सल रोधी अभियान के लिए बीएसएफ को तैनात किया गया था, तब सरकारी स्कूलों को उनके अस्थायी शिविरों के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इसकी आलोचना हुई थी क्योंकि इमारत माओवादियों के निशाने पर आ गई थी।”
भाषा नोमान