सेबी ने राणा शुगर्स, प्रवर्तकों को प्रतिभूति बाजार से दो साल के लिए प्रतिबंधित किया
अजय अजय प्रेम
- 27 Aug 2024, 10:02 PM
- Updated: 10:02 PM
नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को राणा शुगर्स और उसके प्रवर्तकों एवं अधिकारियों को प्रतिभूति बाजार से दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। इसके अलावा कोष की हेराफेरी के लिए 63 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
पूंजी बाजार नियामक ने इंदर प्रताप सिंह राणा (प्रवर्तक और प्रबंध निदेशक), रणजीत सिंह राणा (चेयरमैन), वीर प्रताप राणा, गुरजीत सिंह राणा, करण प्रताप सिंह राणा, राजबंस कौर, प्रीत इंदर सिंह राणा और सुखजिंदर कौर पर किसी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक स्तर या कोई अन्य प्रबंधन स्तर का पद लेने से भी दो साल के लिए रोक दिया है।
सेबी ने राणा शुगर्स, उसके प्रवर्तकों, अधिकारियों और अन्य संबंधित पक्षों पर तीन करोड़ रुपये से लेकर सात करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया है।
सेबी के मुख्य महाप्रबंधक जी रमर ने अंतिम आदेश में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि नोटिस प्राप्तकर्ताओं, जो आरएसएल के प्रवर्तक हैं और आरएसएल से इस तरह के कोष के हेरफेर लाभार्थी हैं, ने पीएफयूटीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध) नियमों का उल्लंघन किया है।
आदेश के मुताबिक, मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) मनोज गुप्ता भी थे पीएफयूटीपी नियमों का उल्लंघन करने वालों में हैं। वह आरएसएल के हेरफेर किए गए वित्तीय विवरणों पर हस्ताक्षर और प्रमाणित करते थे।
जांच से पता चला है कि राणा शुगर्स लिमिटेड वित्त वर्ष 2016-17 में लक्ष्मीजी शुगर्स मिल्स कंपनी का संबद्ध पक्ष के रूप में खुलासा करने में विफल रही। इसके अलावा, कंपनी संबद्ध पक्ष के रूप में एफटीपीएल, सीएपीएल, जेएबीपीएल, आरजेपीएल और आरजीएसपीएल का खुलासा करने में भी विफल रही।
सेबी के मुताबिक, इंद्र प्रताप, रणजीत, वीर प्रताप सिंह राणा, राणा शुगर्स के मामलों के प्रभारी और जिम्मेदार व्यक्ति थे। लिहाजा राणा शुगर्स, इंद्र प्रताप, रणजीत सिंह और वीर प्रताप सिंह राणा ने एलओडीआर नियमों का उल्लंघन किया है।
भाषा अजय अजय