मैंने ऐसा कोई गलत काम नहीं किया है कि इस्तीफा देना पड़े : सिद्धरमैया
आशीष माधव
- 17 Aug 2024, 04:53 PM
- Updated: 04:53 PM
(फाइल फोटो के साथ)
बेंगलुरु, 17 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन ‘घोटाले’ के संबंध में राज्यपाल द्वारा उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दिए जाने के बाद शनिवार को इस्तीफा देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है।
सिद्धरमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले को ‘‘संविधान विरोधी और कानून के खिलाफ’’ बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर अदालत में वह कानूनी रूप से इसका सामना करेंगे।
सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह निर्वाचित सरकार को हटाने की एक बड़ी साजिश है। उन्होंने (भाजपा) दिल्ली, झारखंड समेत कई राज्यों में ऐसा किया है। कर्नाटक में भी निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची गई है। केंद्र सरकार, भाजपा, जद (एस) और अन्य इस साजिश में शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘(कांग्रेस का) आलाकमान मेरे साथ है, पूरा मंत्रिमंडल और सरकार मेरे साथ है। सभी कांग्रेस विधायक, विधान पार्षद, लोकसभा और राज्यसभा सदस्य मेरे साथ हैं...मैंने ऐसा कोई गलत काम नहीं किया है कि इस्तीफा देना पड़े।’’
विपक्षी दलों पर गलत काम करने और गैरकानूनी तथा संविधान विरोधी कदम उठाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे राजभवन को राजनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। राज्यपाल केंद्र सरकार के हाथों की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं।’’
राज्यपाल ने प्रदीप कुमार एस पी, टी जे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ मंजूरी दी है।
सिद्धरमैया ने कहा कि उन्हें राज्यपाल द्वारा इस तरह के निर्णय की उम्मीद थी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमें इसकी उम्मीद थी। जब राज्यपाल ने 26 जुलाई को, जिस दिन उन्हें याचिका प्राप्त हुई, उसी दिन मुझे कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसका क्या मतलब है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘नवंबर से जद(एस) नेता (अब केंद्रीय मंत्री) एच डी कुमारस्वामी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध वाली याचिका दायर की गई, इसके अलावा भाजपा के पूर्व मंत्रियों शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और जनार्दन रेड्डी के खिलाफ भी याचिकाएं हैं। उन सभी को छोड़कर, अगर मुझे नोटिस जारी किया गया, तो इसका क्या मतलब है?"
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘नवंबर में खनन लाइसेंस जारी करने से संबंधित एक कथित मामले में जांच के बाद लोकायुक्त द्वारा कुमारस्वामी (पूर्व मुख्यमंत्री) के खिलाफ मंजूरी मांगी गई थी। उन्हें नोटिस जारी नहीं किया गया। इसका क्या मतलब है-कि मुझे (राज्यपाल द्वारा) नोटिस जारी किया गया है? यह एक बड़ी साजिश है।’’
अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर राज्यपाल गहलोत ने 26 जुलाई को एक "कारण बताओ नोटिस" जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को निर्देश दिया गया था कि वे सात दिन के भीतर उनके खिलाफ आरोपों पर अपना जवाब प्रस्तुत करें कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों न दी जाए।
कर्नाटक सरकार ने एक अगस्त को राज्यपाल को मुख्यमंत्री को जारी किए गए "कारण बताओ नोटिस" को वापस लेने की ‘‘दृढ़ता से सलाह’’ दी थी और राज्यपाल पर ‘‘संवैधानिक पद के घोर दुरुपयोग’’ का आरोप लगाया था। सरकार ने राज्यपाल को याचिकाकर्ता अब्राहम के अनुरोध के अनुसार पूर्व अनुमोदन और मंजूरी से इनकार करके उक्त आवेदन को खारिज करने की भी सलाह दी थी।
भाषा आशीष