असम के मंत्री ने ‘गोभी की खेती’ वाली तस्वीर पोस्ट की, विपक्ष ने निशाना साधा
पवनेश
- 16 Nov 2025, 05:17 PM
- Updated: 05:17 PM
गुवाहाटी, 16 नवंबर (भाषा) बिहार चुनाव परिणामों के बाद असम के एक कैबिनेट मंत्री द्वारा सोशल मीडिया पर ‘गोभी की खेती’ वाली तस्वीर पोस्ट करने पर विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। विपक्ष का आरोप है कि यह स्पष्ट रूप से भागलपुर सांप्रदायिक दंगा के संदर्भ में किया गया है।
विपक्ष ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह ‘राजनीतिक विमर्श का नया निचला स्तर’ है।
असम के कैबिनेट मंत्री अशोक सिंघल ने शुक्रवार दोपहर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में फूलगोभी की खेती की एक तस्वीर साझा की थी जिसका शीर्षक था ‘‘बिहार ने गोभी की खेती को मंजूरी दी’’।
सिंघल पर निशाना साधते हुए कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘बिहार चुनाव परिणामों के मद्देनजर असम के एक मौजूदा कैबिनेट मंत्री द्वारा ‘गोभी की खेती’ की तस्वीर का इस्तेमाल राजनीतिक विमर्श के एक नए और चौंकाने वाले निचले स्तर को दर्शाता है। यह अशोभनीय और शर्मनाक दोनों है।’’
उन्होंने कहा कि यह तस्वीर ‘‘1989 के लोगैन नरसंहार से व्यापक रूप से जुड़ी हुई है जहां भागलपुर हिंसा के दौरान 116 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी और उनके शवों को फूलगोभी के खेतों में छिपा दिया गया था।’’
गोगोई ने कहा, ‘‘इस तरह की त्रासदी का इस तरह से जिक्र करना दिखाता है कि कुछ लोग सार्वजनिक जीवन में किस हद तक गिर सकते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शर्मा ऐसी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं जिन्हें ‘‘भारतीय अल्पसंख्यकों से नफरत है’’।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘असम ऐसा नहीं है। असम महापुरुष शंकरदेव, लचित बड़फूकन और अजान पीर की भूमि है।’’
उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अगले साल असम के लोग नफरत और लालच के राज का अंत कर देंगे।’’
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया कि इस तरह के पोस्ट को प्रधानमंत्री की स्वीकृति होती है।
‘‘गोभी की खेती’’ का मतलब 1989 में बिहार के भागलपुर में मुसलमानों की सामूहिक हत्या का महिमामंडन करना है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सबूत छिपाने के लिए कब्रों पर फूलगोभी की खेती की गई थी।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘यह तस्वीर ‘असम से भाजपा के मंत्री’ ने साझा की थी ‘किसी अतिवादी तत्व’ ने नहीं। यह स्पष्ट है कि पीएमओ से इसे मंजूरी थी। दुनिया को यह पता होना चाहिए।’’
भाषा सुरभि