कर्नाटक के बेलगावी में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 33 गिरफ्तार
सुमित धीरज
- 13 Nov 2025, 10:03 PM
- Updated: 10:03 PM
बेलगावी (कर्नाटक), 13 नवंबर (भाषा) कर्नाटक पुलिस ने बेलगावी में संचालित किये जा रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर मामले में 33 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने बृहस्पतिवार को बताया कि कॉल सेंटर के जरिए विदेशियों के साथ ठगी की जा रही थी।
पुलिस के मुताबिक यह कार्रवाई तीन दिन पहले आंतरिक सुरक्षा प्रभाग (आईएसडी), बेंगलुरु से मिली सूचना तथा बुधवार को संदिग्ध केंद्र के बारे में एक अतिरिक्त गुमनाम शिकायत के बाद की गई।
पुलिस ने बताया कि इन सूचनाओं के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई और पुलिस की एक टीम ने बॉक्साइट रोड स्थित कुमार हॉल पर छापा मारा, जहां यह कॉल सेंटर संचालित हो रहा था।
बेलगावी शहर के पुलिस आयुक्त बोरसे भूषण गुलाबराव के अनुसार, कॉल सेंटर ने पहचान छिपाने के लिए एक्स-लाइट, आईबीएम और सोफोस जैसे वीओआईपी सॉफ्टवेयर के साथ-साथ अर्बन वीपीएन का इस्तेमाल करके अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया। आरोपियों ने 11 ‘स्कैम स्क्रिप्ट’ का पालन किया, अमेरिकी लहजे में बात की और छद्म नाम और छल के जरिए लोगों को ठगा।
उन्होंने बताया कि कुल 33 लोगों - 28 पुरुष और पांच महिलाएं - को गिरफ्तार किया गया तथा 37 लैपटॉप और इतनी ही संख्या में मोबाइल फोन जब्त किए गए।
आरोपी असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। गिरफ्तार आरोपियों में एक नेपाल का व्यक्ति भी है।
पुलिस के मुताबिक इस गिरोह का सरगना गुजरात से काम करता है जबकि दो अन्य पश्चिम बंगाल में हैं और उनका पता लगाया जा रहा है।
उसने बताया कि कॉल सेंटर मार्च से सक्रिय है और इसका विस्तार करने की योजना बना रहा है।
पुलिस ने बताया कि मामला शुरू में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66सी और 66डी के तहत कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग करके पहचान की चोरी और धोखाधड़ी के लिए तथा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 319 के तहत छद्म नाम से धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया था।
चूंकि धोखाधड़ी का लक्ष्य अमेरिकी नागरिक थे इसलिए आईटी अधिनियम की धारा 75 और बीएनएस की धारा 48 और 49 को इसमें जोड़ा गया, जो भारत के बाहर के अपराधों के लिए क्षेत्राधिकार का विस्तार करती हैं।
दूरसंचार पहचान से छेड़छाड़ और बिना अनुमति के नेटवर्क संचालित करने पर भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 42 भी लागू की गई है, जिसके तहत 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। पुलिस ने बताया कि संगठित अपराध से संबंधित प्रावधान भी लागू किए जा रहे हैं।
स्थानीय जांच के लिए अधिकारी आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) बेंगलुरु के साथ समन्वय कर रहे हैं तथा अमेरिकी पीड़ितों से संपर्क करने और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उनके बयान दर्ज करने के लिए सीबीआई और इंटरपोल के साथ समन्वय कर रहे हैं।
भाषा सुमित