कन्नड़ की उपेक्षा कर रही है केंद्र सरकार, थोप रही हिंदी: मुख्यमंत्री सिद्धरमैया
जोहेब सुरेश
- 01 Nov 2025, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
(फोटो के साथ)
बेंगलुरु, एक नवंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को केंद्र सरकार पर कन्नड़ भाषा की उपेक्षा करने और हिंदी थोपने का आरोप लगाया।
उन्होंने राज्य के लोगों से ‘कन्नड़-विरोधी’ ताकतों का विरोध करने का भी आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने राज्य स्थापना दिवस (राज्योत्सव दिवस) के अवसर पर राजधानी में आयोजित कार्यक्रम में कहा, “केंद्र सरकार कर्नाटक के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।”
सत्तरवें कन्नड़ राज्योत्सव समारोह का आयोजन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने किया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य केंद्र को 4.5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व देता है, लेकिन उसे उसका उचित हिस्सा नहीं मिलता और बदले में बहुत ही मामूली राशि दी जाती है।
कन्नड़ भाषा के साथ “अन्याय” होने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हिंदी थोपने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हिंदी और संस्कृत के विकास के लिए अनुदान दिए जाते हैं, जबकि देश की अन्य भाषाओं की उपेक्षा की जा रही है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक को राज्य के विकास के लिए आवश्यक धन से वंचित किया जा रहा है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘कन्नड़ जैसी शास्त्रीय भाषा के विकास के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं दी जा रही, जिससे उसके साथ अन्याय हो रहा है। हमें उन सभी का विरोध करना चाहिए जो कन्नड़-विरोधी हैं।’’
कन्नड़ भाषा और उसकी संस्कृति को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा में कन्नड़ भाषा की उपेक्षा के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘विकसित देशों के बच्चे अपनी मातृभाषा में सोचते, पढ़ते-लिखते और सपने देखते हैं, लेकिन यहां स्थिति इसके विपरीत है। अंग्रेज़ी और हिंदी हमारे बच्चों की प्रतिभा को कमजोर कर रही हैं।’’
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘इसलिए मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में लागू करने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है। मैं इस दिशा में केंद्र से गंभीरता से विचार करने का आग्रह करता हूं।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण उत्पन्न हो रही चुनौतियों का सामना करने के लिए कन्नड़ भाषा को तैयार के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इससे रोजगार पर असर न पड़े।
उन्होंने विद्वानों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों से कन्नड़ को आधुनिक प्रौद्योगिकी की भाषा में रूपांतरित करने में सहयोग देने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी का युग अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में बदल गया है। यह आशंका भी है कि इससे नौकरियों का नुकसान हो सकता है। हमारी सरकार कन्नड़ भाषा, परंपरा और संस्कृति को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने के लिए काम कर रही है। इसके तहत हम अपनी भाषा को एआई (एआई) की चुनौतियों से निपटने योग्य बना रहे हैं ताकि रोजगार पर असर न पड़े।’’
सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य सरकार कन्नड़ को मजबूत बनाने और उसे शिक्षा व रोजगार में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए कई उपाय कर रही है।
उनके अनुसार, 800 कन्नड़ स्कूलों और 100 उर्दू स्कूलों को कर्नाटक पब्लिक स्कूल्स (केपीएस) के रूप में विकसित किया जाएगा, जबकि मदरसों में कन्नड़ शिक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘कन्नड़ भाषा और परंपरा को वैश्विक स्तर तक ले जाने की आवश्यकता को देखते हुए हम इसके लिए एक नयी नीति तैयार कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अल्पसंख्यक समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए मदरसा शिक्षा में प्राथमिक कन्नड़ पढ़ाई जा रही है। फिलहाल 180 मदरसों में कन्नड़ पढ़ाई जा रही है। पूरे राज्य में 1,500 मदरसों में कन्नड़ पढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।’’
कर्नाटक के 69वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने स्थापना आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और अलूरु वेंकट राव, अंदनप्पा डोड्डामेटी, गूडलेप्पा हल्लिकेरी, सिद्धप्पा कंबली, आर.एच. देशपांडे, कौजलगी श्रीनिवास राव और केंगल हनुमंथैया जैसे नेताओं को याद किया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज का कर्नाटक उनके संघर्ष का परिणाम है।’’
भाषा जोहेब