आरएमएल अस्पताल में सुविधाओं की अनुपलब्धता के आरोप वाली याचिका पर अस्पताल से जवाब तलब
जितेंद्र सिम्मी
- 01 Nov 2025, 01:50 PM
- Updated: 01:50 PM
नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में उचित चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर अस्पताल के अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
उच्च न्यायालय ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को एचआईवी जैसे घातक संक्रमणों का पता लगाने के लिए किए जाने वाले ‘न्यूक्लिक एसिड टेस्ट’ (एनएटी) और अस्पताल में आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के संबंध में याचिकाकर्ता की शिकायत पर एक हलफनामा दायर करने को कहा।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा, “वकील प्रतिवादी संख्या तीन (आरएमएल अस्पताल और अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक) एवं चार (आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक) से निर्देश लें और अगली सुनवाई पर एनएटी जांच और आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के संबंध में याचिकाकर्ता की विशिष्ट शिकायत पर अपना पक्ष रखें।”
अदालत ने कहा, “आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा एक विशिष्ट हलफनामा दायर किया जाएगा।”
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर के लिए निर्धारित कर दी। पीठ, गैर सरकारी संगठन ‘कुटुंब’ की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में केंद्र सरकार और आरएमएल अस्पताल के अधिकारियों को अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान (एबीवीआईएमएस) में गरीब एवं जरूरतमंद मरीजों के लिए आवश्यक दवाओं, जीवन रक्षक दवाओं और यहां तक कि रक्तदान संबंधी सुविधाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ता संगठन का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने दावा किया कि मीडिया में प्रसारित खबरों के अनुसार, आरएमएल अस्पताल में रक्तदान संबंधी कार्य अनिवार्य एनएटी के बिना किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि एनएटी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रक्रिया है, जिसे एचआईवी और ‘हेपेटाइटिस बी’ और ‘सी’ जैसे घातक संक्रमणों का पता लगाने के लिए तैयार किया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया, “अस्पताल की अर्ध-स्वचालित एनएटी मशीन नवंबर 2024 से कथित तौर पर खराब पड़ी है और तब से केवल नियमित सीरोलॉजी परीक्षण ही किए जा रहे हैं। इससे हजारों मरीजों को जानलेवा बीमारियों के गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें थैलेसीमिया के मरीज भी शामिल हैं।”
याचिका में बताया गया कि आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता एवं आपूर्ति में कमी और गरीब मरीजों को बाहर से अत्यधिक कीमतों पर दवाएं खरीदने के लिए मजबूर करना, सरकारी अस्पताल के मूल उद्देश्य को विफल करता है और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच से वंचित करता है।
भाषा जितेंद्र