भारत का 2050 तक वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा केंद्र बनने का इरादाः राष्ट्रपति
प्रेम प्रेम अजय
- 28 Oct 2025, 04:51 PM
- Updated: 04:51 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2050 तक भारत न केवल अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करेगा, बल्कि वैश्विक सौर ऊर्जा मांग के एकीकरण और नवाचार, विनिर्माण तथा ज्ञान के आदान-प्रदान का केंद्र बनने का लक्ष्य भी रखता है।
राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के आठवें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु कार्रवाई और ग्रामीण समृद्धि के बीच तालमेल टिकाऊ वृद्धि की कुंजी है।
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में चौथे, पवन ऊर्जा में चौथे और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर मौजूद होने का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा, “यह हमारे मजबूत नीतिगत ढांचे और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
उन्होंने कहा कि देश की स्थापित सौर क्षमता 120 गीगावाट को पार कर चुकी है, जो वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान’ (पीएम-कुसुम) किसानों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के साथ भारत की इस प्रतिबद्धता को भी मजबूत कर रहा है कि वर्ष 2030 तक बिजली उत्पादन की 40 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से आएगी।
राष्ट्रपति ने कहा, “भारत वर्ष 2050 तक केवल अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह वैश्विक सौर मांग को एकीकृत करने, नवाचार और विनिर्माण को प्रोत्साहित करने वाला केंद्र भी बनना चाहता है।”
उन्होंने महिलाओं की भागीदारी को टिकाऊ वृद्धि का अहम हिस्सा बताते हुए कहा कि आईएसए की ‘सोलर फॉर शी’ पहल नीतियों, वित्तीय सहयोग और प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बना रही है।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की शुरुआत 2015 में हुई थी और इसका स्थापना सम्मेलन 2018 में नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था।
मुर्मू ने कहा कि सौर ऊर्जा का विस्तार ऊर्जा के लोकतांत्रीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे नागरिक न केवल उपभोक्ता बल्कि परिवर्तन के सहभागी बनेंगे।
उन्होंने आईएसए के सदस्य देशों से ‘मेगावॉट की बजाय जीवन में आई रोशनी, सशक्त परिवारों और व्यापक रूप से बदले समुदायों से प्रगति मापने’ की अपील भी की।
भाषा प्रेम प्रेम