व्यक्ति जितना स्थानीय होगा, उतनी ही वैश्विकता उसके भीतर होगी: विनोद कुमार शुक्ल
संजीव नोमान
- 21 Sep 2025, 11:59 PM
- Updated: 11:59 PM
रायपुर, 21 सितंबर (भाषा) भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल ने कहा है कि व्यक्ति जितना स्थानीय होगा, उतनी ही वैश्विकता उनके भीतर होगी, अपनी स्थानीयता और बचपन की स्मृतियों को संभालकर रखना चाहिए।
रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में जारी ‘हिंद युग्म महोत्सव’ के दूसरे दिन साहित्य, सिनेमा, संगीत और संवाद का अनूठा संगम देखने को मिला। सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक लगातार चलने वाले सत्रों ने पाठकों, लेखकों और दर्शकों को नए साहित्यिक उत्सव का अनुभव कराया।
‘हिंद युग्म महोत्सव’ के दूसरे और अंतिम दिन वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना के कविता-संग्रह 'एक अनाम पत्ती का स्मारक' का विमोचन हुआ।
इस अवसर पर कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल ने कहा, ''आप जितने स्थानीय होंगे, उतनी ही वैश्विकता आपके भीतर होगी। अपनी स्थानीयता और बचपन की स्मृतियों को संभालकर रखना चाहिए।''
शुक्ल ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा, ''नरेश और मैंने लगभग एक ही समय पर लिखना शुरू किया था। उस समय हम दोनों जबलपुर में कॉलेज में पढ़ रहे थे। मैंने कई कविताएं लिखीं और फिर भूल भी गया, लेकिन नरेश उन्हें कंठस्थ कर लेता था और अक्सर गीत के रूप में गाया भी करता था। उन दिनों जबलपुर में मेरी पहचान बहुत कम थी, जबकि नरेश की पहचान काफ़ी अधिक थी।''
उन्होंने कहा, ''लिखते-लिखते आज हम कितनी दूर आ गए। नरेश उम्र में मुझसे छोटा है, लेकिन उसकी याददाश्त आज भी मुझसे कहीं बेहतर है। अब मैं भूलने लगा हूं, जबकि नरेश अब भी पूरी तरह स्वस्थ है।“
महोत्सव में आज सिनेमा और साहित्य के संगम के रूप में 'चार फूल हैं और दुनिया है' की विशेष स्क्रीनिंग हुई। यह अचल मिश्रा द्वारा निर्देशित एक वृत्तचित्र फिल्म है जो लेखक शुक्ल के घर पर आधारित है। इसमें शुक्ल और अभिनेता मानव कौल के बीच की बातचीत भी शामिल है। यह डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ के बाद से ही सुर्खियों में है और दर्शकों के बीच खूब चर्चित रही है।
इसके बाद निर्देशक अचल मिश्रा और निहाल पराशर के साथ संवाद का आयोजन किया गया।
आयोजन के पहले दिन भी शुक्ल पर बनी एक और डॉक्यूमेंट्री 'हमारे विनोद जी' दिखाई गई थी, जिसके निर्माता वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल और फिल्मकार देवेंद्र शुक्ला हैं।
इससे पहले महोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत 'रील्स, रिव्यू और रीडिंग' सत्र से हुई, जिसमें अर्पित आर्या, रेणु मिश्रा, मधु चतुर्वेदी और उज्ज्वल मल्हावनी ने सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों के साहित्यिक प्रभाव पर चर्चा की।
इसके बाद 'स्त्री लेखन: दोहरी दुनिया का सफ़र' सत्र में सुषमा गुप्ता, अंकिता जैन, चित्रा पंवार, ज्योति शर्मा और मुदिता शर्मा ने महिलाओं की लेखन यात्रा और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन पर विचार रखे। चर्चा में यह विचार भी सामने आया कि स्त्रियां अब केवल दोहरी नहीं, बल्कि तिहरी जिम्मेदारियां निभा रही हैं-घर-परिवार, सामाजिक दायित्व और स्वयं के व्यक्तित्व को जीने की चुनौतियों के बीच।
लेखिका अंकिता जैन ने कहा, “आज मैं यहां अपनी बात रख पा रही हूं, केवल इसलिए कि मेरे पति ने मुझे घर से बाहर निकलने का संबल दिया। वे बच्चों और घर की ज़िम्मेदारी संभालते हैं। जिस दिन हर पति ऐसा करने लगेगा, उस दिन सचमुच हर क्षेत्र में हमें सदी की महानायिकाएं मिलेंगी।''
महोत्सव के दूसरे दिन हबीब तनवीर की थियेटर टीम से जुड़ी पूनम विराट और उनकी टीम ने लोकगीतों की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। जब उन्होंने 'चोला माटी के हे राम' गाया, तब पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने हबीब तनवीर के नाटकों के गीतों की प्रस्तुति दी।
भाषा संजीव