बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर : प्रशांत भूषण
कैलाश राजकुमार
- 20 Sep 2025, 07:24 PM
- Updated: 07:24 PM
पटना, 20 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शनिवार को आरोप लगाया कि बिहार की नीतीश कुमार सरकार में ‘‘भ्रष्टाचार चरम पर’’ है।
उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि भागलपुर में प्रस्तावित विद्युत परियोजना के लिए एक बड़े औद्योगिक घराने को 1,000 एकड़ जमीन 30 सालों के लिए महज एक रुपये वार्षिक किराये पर पट्टे पर दे दी गई है।
भूषण ने यहां प्रेसवार्ता में भागलपुर में लगने वाली एक बिजली परियोजना का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक व्यावसायिक समूह ने कथित तौर पर केवल एक रुपये प्रति वर्ष की दर पर 30 साल का पट्टा हासिल किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की राजग सरकार एक ऐसे सौदे की सहमति दे दी है जिससे राज्य के खजाने को ‘‘लगभग 5,000 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान होगा।’’ उन्होंने ठेका देने में ‘‘बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार’’ का संदेह जताया।
उन्होंने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में ‘‘पारदर्शिता और निष्पक्षता’’ की जरूरत बताते हुए सुझाव दिया कि प्रभावित लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिलाने के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने इसी हफ्ते यहां मार्च निकाला था, लेकिन राज्य के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया है। मंत्री ने दावा किया कि चार बोलीदाताओं में से कंपनी ने उपभोक्ताओं को सबसे कम दर पर बिजली देने का वादा किया था, इसलिए उसे अनुबंध दिया गया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियानों के लिए चर्चित भूषण ने राज्य में चल रहे विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में भी गड़बड़ियों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आज एक संगोष्ठी को संबोधित किया, जहां एक स्थानीय शिक्षाविद ने बताया कि शेखपुरा जिले के एक विधानसभा क्षेत्र में नौ मुस्लिम मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से गलत तरीके से हटा दिए गए हैं। उनके नाम न तो मसौदा मतदाता सूची में हैं और न ही ऐसे उन 65 लाख मतदाताओं की सूची में, जिन्हें मृत, अनुपस्थित और अन्य पलायन कर चुके मतदाता घोषित किया गया है। निर्वाचन आयोग ने इनके नाम बस गायब कर दिए हैं।’’
उन्होंने निर्वाचन आयोग पर ‘‘नागरिकता तय करने की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेने’’ का भी आरोप लगाया, जबकि यह अधिकार ‘‘भारत सरकार, विदेशी न्यायाधिकरणों और अदालतों का है’’।
भूषण ने विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र और राज्य की भाजपा नीत सरकार द्वारा की जा रही घोषणाओं को ‘‘चुनावी रिश्वत’’ करार दिया।
उसी पत्रकार वार्ता में भाकपा (माले) विधायक सत्यदेव राम ने आरोप लगाया कि एसआईआर का मकसद जनता का ध्यान ‘‘20 साल से सत्ता में रही राजग सरकार की विफलताओं से भटकाना’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव से पहले अराजकता फैलाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन लोग इस खेल को समझ चुके हैं।’’
भाषा कैलाश