‘वोट चोरी’ के केंद्रीकृत प्रयासों के जरिए भारतीय लोकतंत्र को नष्ट किया जा रहा : सिद्धरमैया
संतोष अविनाश
- 18 Sep 2025, 09:34 PM
- Updated: 09:34 PM
बेंगलुरु, 18 सितंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा किए गए ‘खुलासे’ से इस बात का पर्दाफाश होता है कि कैसे ‘वोट चोरी’ के व्यवस्थित और केंद्रीकृत प्रयासों के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को नष्ट किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने ‘वोट चोरी’ का प्रयास किया और निर्वाचन आयोग इसकी जांच में बाधा डाल रहा है।
इससे पहले, नयी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर ‘वोट चोरों’ और लोकतंत्र को नष्ट करने वाले लोगों को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट व्यवस्थित रूप से हटाए जा रहे थे।
गांधी ने कहा कि आलंद में किसी ने 6,018 वोटों को हटाने की कोशिश की और संयोग से पकड़ा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के मतदाताओं के नाम व्यवस्थित रूप से हटाए जा रहे थे।
हालांकि, निर्वाचन आयोग ने गांधी के आरोपों को ‘गलत और निराधार’ करार दिया और जोर देकर कहा कि प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना वोटों को हटाया नहीं जा सकता।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा आज किए गए खुलासे ने एक बार फिर उजागर किया है कि कैसे वोट चोरी के व्यवस्थित और केंद्रीकृत प्रयासों के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को तहस-नहस किया जा रहा है। कलबुर्गी में आलंद मामला कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह मतदाता सूची में हेरफेर करने और नागरिकों को उनके वोट के अधिकार से वंचित करने की एक बड़ी साजिश की झलक है।’’
उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 से फरवरी 2023 के बीच, आलंद विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए निर्वाचन आयोग के ऐप के माध्यम से फॉर्म सात के जरिये 6,018 आवेदन दायर किए गए थे। उन्होंने कहा कि जांच करने पर पता चला कि केवल 24 ही असली थे, 5,994 फर्जी थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मतदाता की चुराई गई जानकारी, फर्ज़ी लॉगिन और कर्नाटक के बाहर के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके जाली आवेदक प्रस्तुत किए गए। पूरे परिवारों को बिना उनकी जानकारी के नाम हटाने के लिए निशाना बनाया गया। मामला दर्ज किया गया और सीआईडी ने जांच शुरू कर दी।’’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि 18 महीनों से कर्नाटक सीआईडी ने निर्वाचन आयोग से बार-बार तकनीकी जानकारी (डेस्टिनेशन आईपी, डिवाइस पोर्ट, ओटीपी ट्रेल्स) मांगी है, जो यह पता लगाने के लिए जरूरी हैं कि यह ऑपरेशन कहां से चलाया जा रहा था और इसके पीछे कौन था। लेकिन निर्वाचन आयोग ने यह डेटा साझा करने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज इन विशिष्ट मांगों पर ध्यान देने के बजाय, निर्वाचन आयोग ने आरोपों को गलत और निराधार बताकर खारिज कर दिया और दावा किया कि बिना उचित प्रक्रिया के कोई भी नाम नहीं हटाया जा सकता। लेकिन कठिन सवाल अब भी अनुत्तरित हैं, 18 बार याद दिलाने के बावजूद, अहम डिजिटल साक्ष्य क्यों रोके रखे गए हैं?’’
भाषा संतोष