दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनएचएआई की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई, कहा- प्रक्रिया तर्कहीन
नेत्रपाल सुरेश
- 18 Sep 2025, 07:24 PM
- Updated: 07:24 PM
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्लैट अंकों के आधार पर वकीलों की भर्ती करने के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के फैसले पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी और कहा कि इस प्रक्रिया के पीछे ‘‘कोई तर्क नहीं’’ है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एनएचएआई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए इस कदम पर रोक लगा दी।
एनएचएआई की अधिसूचना में वकीलों की भर्ती के लिए संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (क्लैट-पीजी) के परीक्षा अंकों को आधार बनाया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इसके औचित्य को लेकर चिंतित हैं। इसमें क्या गठजोड़ है? आप उनकी विश्वसनीयता की परीक्षा लीजिए। क्लैट-पीजी का उद्देश्य एलएलएम के लिए है। आप यह नहीं कह सकते कि जिन लोगों ने पेपर तैयार किया है, उनके पास उस उद्देश्य के लिए मूल्यांकन करने की क्षमता है। आप वास्तव में यह नहीं परख रहे हैं कि वह एक अच्छा कर्मी होगा या नहीं। आपके मामले में कोई तर्क नहीं है।’’
एनएचएआई के वकील ने कहा कि प्राधिकरण अंकों का परीक्षण करके उम्मीदवार की कानूनी कुशलता का परीक्षण कर रहा है।
वकील ने कहा, ‘‘एकमात्र कारण यह है कि क्लैट अंकों को समझने के लिए एक उचित मानदंड है।’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि विभिन्न उद्देश्यों के लिए अलग-अलग कौशल की आवश्यकता होती है।
पीठ ने कहा, ‘‘कोई व्यक्ति रोजगार योग्य हो सकता है, कोई व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बेहतर हो सकता है। यह आखिर एक घटक क्यों है? यह नहीं होना चाहिए। आप इसे पात्रता मानदंड कैसे बना सकते हैं, (कुछ ऐसा) जिसके बिना कोई भाग भी नहीं ले सकता। आप यह मानक तय नहीं कर रहे हैं कि जिसने भी क्लैट-पीजी में भाग लिया है, वह पात्र होगा। आप प्राप्त अंकों के आधार पर चयन कर रहे हैं। यह (क्लैट-पीजी के लिए) चयन का एक तरीका है, न कि रोजगार के लिए चयन मानदंड और न ही आगे की पढ़ाई के लिए। यह एक भर्ती मानदंड है। यह पात्रता मानदंड तक ही सीमित नहीं है।’’
वकील ने कहा कि यद्यपि चयन क्लैट अंकों के आधार पर किया गया, लेकिन प्राधिकारी ने अनुभव को भी प्राथमिकता दी।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे आवेदन पत्र में एक विशिष्ट कॉलम है, जिसमें संविदात्मक मामलों में अनुभव के बारे में पूछा गया है। कोई भी संभावित उम्मीदवार जो आवेदन करना चाहता है, वह जानता है कि सार्वजनिक क्षेत्र की अधिकतर कंपनियां इसी पद्धति का उपयोग कर रही हैं।’’
हालांकि, अदालत ने कहा, ‘‘यह कोई कारण नहीं है। हम इससे प्रभावित नहीं हैं। हम फैसला सुरक्षित रखेंगे। फैसला आने तक आप चयन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाएंगे। शायद किसी भी तरह की व्याख्या से काम नहीं चलेगा।’’
पीठ ने कहा कि नवीनतम राष्ट्रीय संस्थागत फ्रेमवर्क रैंकिंग में, एनएलयू-दिल्ली दूसरे स्थान पर है, लेकिन यह क्लैट-पीजी का हिस्सा नहीं है।
इसने पूछा, ‘‘ऐसी योग्यता यहां क्यों नहीं शामिल की गई? हो सकता है कि किसी को एनएलयू में दाखिला लेने में भी रुचि न हो।’’
अदालत ने पिछली पीठ के उस सुझाव की ओर ध्यान दिलाया जिसमें चयन का कार्य बार एसोसिएशन को सौंपने का सुझाव दिया गया था।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, ‘‘बार एसोसिएशन को इसका जवाब देना होगा। यह रोजगार का मानक नहीं हो सकता।’’
इसके बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, ‘‘हम यह प्रावधान करते हैं कि जब तक फैसला नहीं सुनाया जाता, एनएचएआई अपने भर्ती विज्ञापन के अनुसरण में आगे कोई कार्यवाही नहीं करेगा।’’
भाषा नेत्रपाल