‘महिला विरोधी’ टिप्पणी पर विवाद के बीच पूर्व राजनयिक ने ‘बिना शर्त माफी’ मांगी
पारुल माधव
- 18 Sep 2025, 07:04 PM
- Updated: 07:04 PM
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) सेवानिवृत्त राजनयिक दीपक वोहरा ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने लेडी श्री राम (एलएसआर) महिला कॉलेज की प्राचार्या से बिना शर्त माफी मांग ली है।
वोहरा ने संस्थान में अपने व्याख्यान में कथित तौर पर शामिल “महिला विरोधी” और “अपमानजनक” टिप्पणियों को लेकर उपजे विवाद तथा छात्र संघ की तीखी आलोचना के बीच यह कदम उठाया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैंने (एलएसआर की) प्राचार्या से बिना शर्त माफी मांग ली है। विभाग ने मेरे व्याख्यान की सराहना की, लेकिन छात्र संघ इसकी आलोचना कर रहा है। प्राचार्या ने भी मुझे मैसेज करके ‘धन्यवाद’ कहा। जाहिर है, कुछ छात्र प्रधानमंत्री के लिए मेरी प्रशंसा से नाराज थे।”
बीए प्रोग्राम विभाग की ओर से 11 सितंबर को आयोजित ‘अजेय भारत 2047’ व्याख्यान को नीति और कूटनीति में भारत के भविष्य पर चर्चा के रूप में प्रचारित किया गया था।
कार्यक्रम के बाद वोहरा को भेजे हस्तलिखित पत्र में विभाग ने कहा था, “हमारे कॉलेज में आपकी उपस्थिति के लिए हम तहे दिल से आपके आभारी हैं। आपकी विचारशील अंतर्दृष्टि और प्रभावशाली शब्दों ने इस सत्र को सचमुच यादगार बना दिया और उपस्थित सभी लोगों पर अमिट छाप छोड़ी... आपकी ओर से साझा किए गए दृष्टिकोण ने हमारे छात्रों को भारत के विश्व गुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ने के बारे में कल्पना करने के लिए प्रेरित किया।”
हालांकि, एलएसआर छात्र संघ ने एक बयान में आरोप लगाया कि व्याख्यान में “विभाजनकारी, महिला विरोधी और अपमानजनक” टिप्पणियां शामिल थीं। संघ ने वोहरा की उस कथित टिप्पणी पर खास तौर पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने प्राचार्या की ओर से एलएसआर में पढ़ने के लिए स्त्री के रूप में पुनर्जन्म लेने का सुझाव दिए जाने के बाद पुरुष के रूप में पुनर्जन्म लेने की इच्छा जताई थी।
संघ ने कहा, “इससे एक ऐसी मानसिकता उजागर हुई है, जो गहराई तक जड़ें जमाए बैठी महिला विरोधी भावना को दर्शाती है। हम उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करते हैं।”
वोहरा की प्रस्तुति ‘भारत की चार आजादी’ में शामिल एक स्लाइड में 1947 को “हमारे शरीर” की आजादी, 2022 को “हमारे मन” की आज़ादी (नेताजी की प्रतिमा शामिल करते हुए), 2023 को “हमारे आत्मविश्वास” की आजादी (चंद्रयान-3 का जिक्र करते हुए) और 2024 को “हमारी आत्मा” की आजादी (राम मंदिर निर्माण का उल्लेख करते हुए) के रूप में वर्णित किया गया है।
अपने व्याख्यान में वोहरा को “जामवंत प्रभाव” का जिक्र करते हुए भी सुना गया कि कैसे एक कमजोर, “नपुंसक” भारत बीते दिनों की बात हो गया है और उसकी जगह एक निडर “भारत बहादुर” ने ले ली है।
उन्हें यह कहते हुए भी सुना जा सकता है, “हम तरक्की के रास्ते पर हैं, क्योंकि विष्णु का एक अवतार (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) हाथ में छड़ी लेकर हमारे पीछे खड़े हैं और हमसे ऐसा करने को कह रहा है।”
सेवानिवृत्त राजनयिक को मोदी की प्रशंसा करते हुए मजाक में यह कहते हुए भी सुना जा सकता, “यह मत सोचिए कि मैं नरेन्द्र मोदी का चमचा हूं, मैं महा चमचा हूं।”
भाषा पारुल