शीर्ष अदालत ने पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रमों में तृतीय लिंगी हेतु आरक्षण संबंधी अर्जी पर सुनवाई टाली
राजकुमार सुरेश
- 18 Sep 2025, 07:06 PM
- Updated: 07:06 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में तृतीय लिंगी (ट्रांसजेंडर) प्रत्याशियों के लिए आरक्षण का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई बृहस्पतिवार को अगले सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि अखिल भारतीय कोटे और राज्य कोटे के तहत दो-दो सीट तृतीय लिंगी याचिकाकर्ताओं के लिए खाली रखी जाएं।
पीठ ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के वकील की दलील पर गौर किया, जिन्होंने कहा कि स्नातोकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग अभी शुरू नहीं हुई है। पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश के लिए तत्काल कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम हर जगह सीट को अधर में नहीं रख सकते। आप अखिल भारतीय कोटे में दो सीट और राज्य कोटे में दो सीट की बात कह रहे हैं। काउंसलिंग शुरू नहीं हुई है। हम इस मामले को अगले हफ़्ते के लिए रखेंगे।’’
उच्चतम न्यायालय ‘किरण ए. आर एवं अन्य बनाम भारत संघ’ नामक एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
याचिका में स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में तृतीय लिंगी प्रत्याशियों के लिए आरक्षण का लाभ लागू करने का अनुरोध किया गया था, जो 2014 के ऐतिहासिक ‘नालसा’ मामले के फैसले के अनुरूप था। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने इस फैसले में तृतीय लिंगियों के अधिकारों को मान्यता दी थी तथा कहा था कि वे सकारात्मक कार्रवाई के हकदार हैं।
कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुईं जयसिंह ने शीर्ष अदालत को बताया कि किरण ए आर (प्रथम याचिकाकर्ता) इस मामले से हट गया और केवल दूसरे एवं तीसरे याचिकाकर्ता ही इस याचिका पर आगे बढ़ेंगे एवं वे (दोनों याचिकाकर्ता) क्रमशः ओबीसी और सामान्य वर्ग से हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज की स्थिति में, मैं दो सीट खाली रखने के लिए एक बहुत ही हानिरहित आदेश की मांग कर रही हूं।’’
केंद्र सरकार और चिकित्सा अधिकारियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तृतीय लिंगी प्रत्याशियों के आरक्षण के व्यापक मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से विचार करना चाहते हैं।
इसके बाद पीठ ने सुनवाई 23 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि अगर तृतीय लिंगी व्यक्तियों को आरक्षण देने का शीर्ष अदालत का कोई आदेश है, तो उसका पालन किया जाना चाहिए।
जयसिंह ने कहा कि एक मुद्दा यह था कि क्या तृतीय लिंगी व्यक्तियों के लिए आरक्षण क्षैतिज होगा या नहीं।
क्षैतिज आरक्षण के तहत, तृतीय लिंगी व्यक्तियों को, चाहे वे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या सामान्य वर्ग से हों, तृतीय लिंग से संबंधित होने के कारण आरक्षण का लाभ मिलेगा।
जयसिंह के अनुसार, दोनों याचिकाकर्ताओं ने प्रवेश परीक्षाएं दी थीं, लेकिन तृतीय लिंगी आरक्षण को मान्यता दिए जाने के मामले में लागू कट-ऑफ अंकों को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कई उच्च न्यायालयों ने अंतर्विरोधी आदेश दिये हैं।
भाषा राजकुमार