रेलवे, सड़क, हवाई अड्डों में संपत्ति मौद्रीकरण तेज करने की जरूरतः सेबी प्रमुख
प्रेम प्रेम अजय
- 18 Sep 2025, 06:58 PM
- Updated: 06:58 PM
मुंबई, 18 सितंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बृहस्पतिवार को कहा कि रेलवे, सड़क, हवाई अड्डे और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सरकार की संपत्तियों का मौद्रीकरण तेज करना जरूरी है ताकि निवेशकों की पूंजी को इन परियोजनाओं में लगाया जा सके।
सेबी प्रमुख बनने से पहले निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के प्रभारी रह चुके पांडेय ने कहा कि अधिकांश राज्य सरकारें अभी तक संपत्ति मौद्रीकरण के लिए योजना नहीं बना पाईं हैं।
उन्होंने कहा कि इस अंतर को दूर करने से बुनियादी ढांचा निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और संसाधनों की उपलब्धता बढ़ेगी।
पांडेय ने कहा कि बुनियादी ढांचे के लिए बहुत बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसे केवल सरकार एवं बैंकों के ऊपर नहीं डालना चाहिए। उन्होंने पूंजी बाजार को संसाधन जुटाने के वैकल्पिक माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया।
सेबी चेयरमैन ने कहा कि केंद्र सरकार की संपत्ति मौद्रीकरण योजना ने अतीत में ढांचागत निवेश ट्रस्ट (इनविट) जैसे निवेश साधन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पांडेय ने कहा कि सड़क, रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डे, ऊर्जा, पेट्रोलियम एवं गैस और लॉजिस्टिक जैसे क्षेत्रों में संपत्ति मौद्रीकरण की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है। यह इनविट, रियल एस्टेट अवसंरचना ट्रस्ट (रीट), सार्वजनिक-निजी भागीदारी या प्रतिभूतिकरण के जरिये किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से अबतक 21 नगर निगम बॉन्ड जारी कर 3,134 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं लेकिन निवेशक आधार को और बढ़ाने एवं विविध करने की जरूरत है।
पांडेय ने कहा, “सिर्फ बैंकों या सरकारी बजट पर भरोसा करने से जोखिम बढ़ता है। बाजार कॉरपोरेट बॉन्ड, इंडेक्स, नगर निगम बॉन्ड जैसे विभिन्न साधनों की पेशकश करते हैं जो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।”
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण एवं विकास बैंक (नैबफिड) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजकिरण राय ने ढांचागत क्षेत्र को कर्ज देने में बैंकों की घटती दिलचस्पी पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एवं समर्पित अवसरंचना ऋण कोषों के जरिये निवेश बढ़ रहा है जबकि बैंकिंग क्षेत्र में यह घट रहा है।
भाषा प्रेम प्रेम