‘वोट चोरों’ और ‘लोकतंत्र के हत्यारों’ की रक्षा कर रहे हैं मुख्य निर्वाचन आयुक्त: राहुल
हक मनीषा
- 18 Sep 2025, 02:03 PM
- Updated: 02:03 PM
(तस्वीरों सहित)
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ अपनी मुहिम के क्रम में बृहस्पतिवार को मतदाता सूचियों से ‘‘कांग्रेस समर्थक मतदाताओं’’ के नाम हटाए जाने का विषय उठाया और आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ‘‘लोकतंत्र की हत्या करने वालों’’ तथा ‘‘वोट चोरों’’ की रक्षा कर रहे हैं।
निर्वाचन आयोग ने उनके आरोपों को गलत और निराधार करार दिया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने यहां पार्टी मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में संवाददाता सम्मेलन में कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंद विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि कांग्रेस के मतदाताओं के नाम हटाने का प्रयास सुनियोजित तरीके से किया गया तथा इसमें सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ।
उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञानेश कुमार को ‘वोट चोरों’ का संरक्षण देना बंद करना चाहिए और एक सप्ताह में निर्वाचन आयोग को कर्नाटक की सीआईडी के साथ पूरी जानकारी साझा करनी चाहिए।
उनके अनुसार, जिनके नाम हटाने के प्रयास हुए और जिनके नाम का इस्तेमाल कर नाम हटाने के आवेदन दिए गए, उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं थी।
उन्होंने कहा कि यह ‘‘हाइड्रोजन बम’’ नहीं है और वह आगे आने वाला है।
राहुल गांधी ने बीते एक सितंबर को पटना में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन के मौके पर ‘वोट चोरी’ से जुड़े अपने पहले के खुलासे का हवाला देते हुए दावा किया था कि ‘‘एटम बम’’ के बाद अब ‘‘हाइड्रोजन बम’’ आने वाला है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोगों को अपना ‘‘मुंह नहीं दिखा पाएंगे।’’
उन्होंने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में कथित वोट चोरी का मुद्दा बीते सात अगस्त को संवाददाता सम्मेलन के जरिए उठाया था। इस खुलासे को उन्होंने "एटम बम" कहा था।
राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘मैं अपने लोकतंत्र, देश और संविधान से बहुत प्रेम करता हूं और ऐसी कोई बात नहीं करूंगा जो तथ्यों पर आधारित नहीं हो।’’
उनके मुताबिक, आलंद विधानसभा क्षेत्र में 6018 मतदाताओं का नाम हटाने के लिए आवेदन दिए गए। उन्होंने कहा कि ऐसा कांग्रेस मतदाताओं को निशाना बनाकर किया गया तथा दलित, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक मतदाताओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया।
राहुल गांधी ने आलंद विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमने यह ‘वोट चोरी’ एक बीएलओ के जरिए पकड़ी, जिसके रिश्तेदार का वोट काट दिया गया था। जब बीएलओ ने पता किया तो सामने आया कि उनके रिश्तेदार का वोट उसी के पड़ोसी ने हटवाया है। बीएनओ ने जब पड़ोसी से पूछा तो पता चला कि उसने नाम नहीं हटवाया।’’
उनका कहना था, ‘‘जब शक बढ़ा तो बीएलओ ने पूरी जानकारी एकत्र की और पता चला कि किसी तीसरे ने आलंद में सुनियोजित तरीके से वोट हटाए गए हैं। इसमें यह भी पता चला कि मतदाता का नाम हटाने के लिए आवेदन ‘ऑनलाइन ऑटोमेटेड’ तरीके से हुआ और जो मोबाइल नंबर इस्तेमाल हुए, वह कर्नाटक के बाहर के नंबर थे।’’
उन्होंने मंच पर कुछ ऐसे लोगों को पेश किया, जिनके नाम का इस्तेमाल करके मतदाता सूची से नाम हटाने के आवेदन किए गए। ऐसी एक महिला नाम गोदाभाई है, जिनका वीडियो राहुल गांधी ने जारी किया। उनका दावा है कि उनके नाम पर 12 लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए।
राहुल गांधी ने सवाल किया, ‘‘जिन नंबर से 12 लोगों के नाम हटाए गए गए, वह किनके नंबर हैं? ये मोबाइल नंबर किसने और कहां से ऑपरेट किए? इन नंबरों का आईपी एड्रेस क्या था? नाम हटाने के लिए ओटीपी किसको गया?’’
उनका कहना है कि जब इन नंबरों पर फोन किया जाता है, तो कोई जवाब नहीं आता।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘इस मामले की जांच कर्नाटक की सीआईडी कर रही है। सीआईडी ने 18 पत्र भेजकर कुछ जानकारियां मांगी... लेकिन यह जानकारी नहीं दी गई क्योंकि इससे वहां तक पहुंचा जा सकेगा जहां से यह अभियान चलाया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के राजौरा विधानसभा क्षेत्र में इसी तरीके का इस्तेमाल करके 6850 नाम जोड़े गए।
कांग्रेस नेता का कहना था, ‘‘देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जी से हमारी मांग है कि आप अपना काम कीजिए, क्योंकि आपने शपथ ली है। हमारी मांग है कि कर्नाटक की सीआईडी जो सबूत मांग रही है, आप उन्हें सात दिन के अंदर दे दीजिए। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो पूरा हिंदुस्तान मान लेगा कि आप संविधान की हत्या में शामिल हैं और वोट चोरों की रक्षा कर रहे हैं।’’
आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप गलत और निराधार हैं। किसी भी वोट को ऑनलाइन किसी भी व्यक्ति द्वारा हटाया नहीं जा सकता, जैसा कि गांधी ने गलत धारणा बनाई है।’’
उसने यह भी कहा कि 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के ‘‘कुछ असफल प्रयास’’ किए गए थे और मामले की जांच के लिए आयोग के अधिकारियों ने खुद एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
भाषा हक
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