नगालैंड सरकार पूर्वी जिलों से बाहर सेवारत शिक्षकों को उनके मूल कार्यस्थलों पर वापस भेजेगी
सुमित मनीषा वैभव
- 18 Sep 2025, 11:49 AM
- Updated: 11:49 AM
कोहिमा, 18 सितंबर (भाषा) नगालैंड सरकार ने युक्तिकरण प्रक्रिया के दौरान राज्य के पूर्वी जिलों से बाहर सेवारत 33 शिक्षकों को उनके मूल कार्यस्थलों पर वापस भेजने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
शिक्षकों की वापसी का फैसला बुधवार को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में हुई एक आपात बैठक में लिया गया। इस बैठक में पूर्वी नगालैंड के विधायक, मंत्री सी एल जॉन और पी पैवांग कोन्याक, सलाहकार वांगपांग कोन्याक, स्कूली शिक्षा एवं एससीईआरटी के सलाहकार डॉ केखरीलहौली योमे, मुख्य सचिव सेंटियांगर इमचेन, गृह आयुक्त अभिजीत सिन्हा और स्कूली शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
पूर्वी नगालैंड छात्र संघ (ईएनएसएफ) ने सोमवार को मोन, तुएनसांग, किफिर, लोंगलेंग, नोक्लाक और शमाटोर जिलों में सरकारी स्कूलों और कार्यालयों को बंद करने का निर्देश देते हुए एक आंदोलन शुरू किया, जिसमें कहा गया कि शिक्षक युक्तिकरण नीति के कारण क्षेत्र में शिक्षकों की गंभीर कमी हो गई है।
इस आंदोलन के कारण हजारों छात्रों की शिक्षा में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिसके कारण सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना पड़ा।
फेडरेशन ने कहा कि युक्तिकरण के परिणामस्वरूप क्षेत्र के कई स्कूल विषय अध्यापकों के बिना ही रह गए हैं क्योंकि कई शिक्षकों को स्वीकृत पदों के विरुद्ध बिना रिलीवर के स्थानांतरित कर दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि बुधवार को मुख्यमंत्री के साथ बैठक के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग ने बताया कि पूर्वी जिलों में वर्तमान में 606 सरकारी स्कूल, 45,174 छात्र और 4,733 शिक्षक हैं, जिनमें यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडाइस) 2024-25 के अनुसार छात्र-शिक्षक अनुपात 10:1 है।
विभाग ने बताया कि अगस्त 2025 में मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित युक्तिकरण नीति का उद्देश्य शिक्षकों की तैनाती को अनुकूलतम बनाना था लेकिन इससे अनजाने में पूर्वी क्षेत्र में कर्मचारियों की कमी बढ़ गई।
गहन विचार-विमर्श के बाद सरकार ने उन 33 अध्यापकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया, जिन्हें युक्तिकरण प्रक्रिया के दौरान पूर्वी जिलों से बाहर स्थानांतरित कर दिया था। अब उन्हें उनके मूल कार्यस्थलों पर वापस भेज दिया गया है ताकि स्टाफ की कमी को तुरंत दूर किया जा सके।
भाषा सुमित मनीषा