ईडी ने सहकारी बैंक ‘धोखाधड़ी’ मामले में अंडमान के पूर्व सांसद और दो अन्य को गिरफ्तार किया
देवेंद्र पवनेश
- 17 Sep 2025, 09:47 PM
- Updated: 09:47 PM
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व सांसद एवं कांग्रेस नेता कुलदीप राय शर्मा तथा दो अन्य को 500 करोड़ रुपये के कथित सहकारी बैंक ‘‘धोखाधड़ी’’ से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
केंद्र शासित प्रदेश में धनशोधन निरोधक कानून के तहत संघीय जांच एजेंसी द्वारा पहली बार इस तरह की गिरफ्तारियां की गई हैं।
ईडी ने एक बयान में बताया कि 58 वर्षीय शर्मा अंडमान निकोबार राज्य सहकारी बैंक (एएनएससीबी) के पूर्व अध्यक्ष हैं। गिरफ्तार किये गये दो अन्य लोगों में बैंक के प्रबंध निदेशक के. मुरुगन और बैंक के ऋण अधिकारी के. कलैवानन शामिल हैं।
कोलकाता में एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने शर्मा और कलैवानन को आठ दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि मुरुगन को अदालत में पेश नहीं किया जा सका क्योंकि वह अस्पताल में भर्ती हैं।
एजेंसी के अनुसार, यह मामला सहकारी बैंक के अधिकारियों, जिनमें शर्मा और अन्य शामिल हैं, द्वारा कथित तौर पर 500 करोड़ रुपये से अधिक की ‘‘धोखाधड़ी’’ से संबंधित है, जो ऋण स्वीकृत करने के लिए जिम्मेदार थे।
ईडी ने दावा किया, ‘‘इन लोगों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कई फर्जी कंपनियां बनाईं और नियमों तथा बैंक की निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए उन्हें तथा अपनी नियमित संस्थाओं को बड़े ऋण स्वीकृत किए, जिसका एकमात्र उद्देश्य धनराशि वापस न करना था, जिससे बैंक को नुकसान हुआ और उन्होंने स्वयं लाभ कमाया।’’
धनशोधन का यह मामला अंडमान एवं निकोबार पुलिस के अपराध एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की प्राथमिकी से सामने आया है।
ईडी ने कहा कि उसकी जांच से संकेत मिलता है कि बैंक की निर्धारित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों की ‘‘पूरी तरह से अवहेलना’’ करते हुए विभिन्न फर्मों और मुखौटा कंपनियों के नाम पर 100 से अधिक खातों के माध्यम से ऋण स्वीकृत किए गए थे और धोखाधड़ी में शामिल राशि 500 करोड़ रुपये से अधिक है।
इसने कहा, ‘‘अब तक एकत्र किए गए साक्ष्यों से यह भी संकेत मिलता है कि 230 करोड़ रुपये की ऋण राशि धोखाधड़ी से विशेष रूप से शर्मा और उनके सहयोगियों, जिनमें प्रबंध निदेशक (मुरुगन) और ऋण अधिकारी (कलाइवनन) शामिल हैं, के फायदे के लिए ली गई थी।’’
एजेंसी ने आरोप लगाया कि मुरुगन और कलैवानन ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर गठित कंपनियों के नाम पर बैंक से ‘‘धोखाधड़ी’’ के जरिये ऋण लिया।
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