विभिन्न समुदायों की गजट-आधारित मांगों के बीच पवार ने सामाजिक एकता पर जोर दिया
शफीक माधव
- 17 Sep 2025, 05:00 PM
- Updated: 05:00 PM
पुणे, 17 सितंबर (भाषा) राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि अगर हर समुदाय हैदराबाद गजट के आधार पर अपनी मांगें रखेगा, तो समुदायों के बीच एकता कायम करना मुश्किल होगा।
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट में शासी परिषद की बैठक के बाद पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए, पवार ने राज्य सरकार द्वारा दो अलग-अलग समितियां - एक मराठों के लिए और दूसरी ओबीसी के लिए - बनाने के फैसले पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए और इसके लिए अगर कोई राजनीतिक कीमत चुकानी पड़े, तो चुकानी चाहिए।
विभिन्न जाति समूहों ने तर्क दिया है कि मराठा समुदाय के सदस्यों को ओबीसी कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए हैदराबाद गजट के कार्यान्वयन से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा।
महाराष्ट्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याणकारी उपायों में तेजी लाने और आरक्षण से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए नौ सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति का गठन किया था।
ओबीसी नेता और संगठन आरक्षण के उद्देश्य से मराठों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं।
पवार ने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश, पिछले कुछ दिनों में मराठवाड़ा में विभिन्न समुदायों के बीच बेचैनी बढ़ी है, इसलिए मैंने कहा कि सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है। हर दिन नई मांगें उठ रही हैं। दो दिन पहले बंजारा समुदाय ने अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, जबकि अगले दिन आदिवासियों ने इस तरह के समावेश का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया।’’
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच भी ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने दो समितियां बनाई हैं - एक ओबीसी के लिए और दूसरी मराठों के लिए। मेरा सवाल यह है कि क्या वाकई जाति के आधार पर दो अलग-अलग समितियां बनाने की जरूरत थी? ऐसी समितियां स्वाभाविक रूप से केवल उन्हीं समुदायों के बारे में सोचेंगी जिनके लिए वे बनाई जा रही हैं, जबकि वे दूसरे पक्ष के बारे में नहीं सोचेंगी।’’
पवार ने कहा कि जरूरत दोनों समुदायों को एक साथ लाने की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘अगर हम एकता चाहते हैं, तो ऐसी समितियों के जरिए अलग-अलग काम करने से कोई फायदा नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अंततः, समुदायों के बीच कड़वाहट कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मैं इन दोनों समितियों पर और कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन इस समय, प्रयासों का मकसद आपसी समझ बनाना होना चाहिए।’’
भाषा शफीक