ईडी ने एमयूडीए के पूर्व आयुक्त दिनेश कुमार को गिरफ्तार किया
गोला मनीषा
- 17 Sep 2025, 03:11 PM
- Updated: 03:11 PM
बेंगलुरु, 17 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित अवैध भूमि आवंटन से जुड़े एक मामले में एमयूडीए के पूर्व आयुक्त दिनेश कुमार को धन शोधन निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि कुमार को बेंगलुरु स्थित एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में पेश किए जाने की उम्मीद है, जहां एजेंसी उनकी हिरासत का अनुरोध करेगी।
यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब संघीय जांच एजेंसी ने मंगलवार को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) के अवैध भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में कुमार से जुड़े बेंगलुरु स्थित दो आवासीय परिसरों की तलाशी ली।
मंगलवार को पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
ईडी के अनुसार, कुमार एमयूडीए आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ‘‘विशेष लाभों’’ के बदले एमयूडीए स्थलों के ‘‘बड़े पैमाने पर अवैध आवंटन’’ में कथित तौर पर लिप्त रहे।
जांच में धन शोधन गतिविधियों में उनकी ‘‘सक्रिय’’ संलिप्तता पाई गई है।
पिछले वर्ष सितंबर में राज्य सरकार द्वारा एमयूडीए के कामकाज में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की रिपोर्ट के मद्देनजर आंतरिक जांच के बाद कुमार को निलंबित कर दिया गया था।
सरकार ने अधिकारी पर एमयूडीए आयुक्त के रूप में कार्य करते हुए कई अवैध कदम उठाने का आरोप लगाया था।
एमयूडीए मामला कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को आवंटित भूमि में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
हालांकि, जुलाई में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में पार्वती के खिलाफ ईडी की कार्यवाही रद्द करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
उसने शहरी विकास मंत्री बी.एस. सुरेश को जारी ईडी के समन को भी रद्द कर दिया, जिनका नाम आरोपी के रूप में नहीं था, लेकिन एजेंसी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था।
इस मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति पी एन देसाई आयोग ने भी सिद्धरमैया और उनके परिवार को दोषमुक्त करार दिया है।
इससे पहले, लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि आरोप ‘‘सबूतों के अभाव में साबित नहीं हो सके।’’
आरोप है कि पार्वती को मुआवज़े के तौर पर मैसूरु के एक उच्चवर्गीय क्षेत्र में भूमि आवंटित की गयी, जिसका मूल्य उनके उस भूखंड की तुलना में कहीं अधिक था, जिसे मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण ने ‘‘अधिग्रहित’’ किया था।
लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, उनके रिश्तेदार बी.एम. मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू (जिन्होंने स्वामी को ज़मीन बेची थी, जिसे बाद में पार्वती को उपहार में दे दिया गया था) और अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। ईडी ने इस प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया।
सिद्धरमैया ने अपने परिवार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि एमयूडीए ने उनकी पत्नी की चार एकड़ जमीन पर ‘‘अवैध रूप से’’ कब्जा कर लिया और उनकी अनुमति के बिना एक लेआउट तैयार कर लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि एमयूडीए ने उन्हें मैसूरु के एक महंगे इलाके में 14 वैकल्पिक भूखंड उपलब्ध कराकर मुआवजा दिया है।
भाषा गोला