भारत ने नायरा को घरेलू ईंधन आपूर्ति को जहाजों के इस्तेमाल की अनुमति दी, डॉलर कारोबार पर अंकुश कायम
अजय
- 17 Sep 2025, 10:23 AM
- Updated: 10:23 AM
(अम्मार जैदी)
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) भारत ने यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंधित नायरा एनर्जी को देश के भीतर पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन के तटीय परिवहन के लिए चार विदेशी ध्वज वाले जहाजों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। हालांकि, बैंकिंग चैनल की अनुपलब्धता के कारण इसका गैर-रूसी विदेशी व्यापार अब भी ठप है।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि नौवहन महानिदेशालय ने नायरा द्वारा उत्पादित ईंधन की तटीय आवाजाही के लिए चार विदेशी ध्वज वाले जहाजों के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है और ठप डॉलर व्यापार को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
नायरा एनर्जी ने इस बारे में टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया।
नायरा की गुजरात स्थित वाडिनार रिफाइनरी देश में खपत वाले कुल का लगभग आठ प्रतिशत ईंधन बनाती है। इसका अधिकांश हिस्सा गुजरात से पश्चिमी तट के प्रमुख उपभोग केंद्रों तक भेजा जाता था, जो पूर्व में ओडिशा तक पहुंचता था।
जुलाई में यूरोपीय संघ द्वारा नायरा पर अंकुश लगाए जाने के बाद यह आपूर्ति मार्ग बाधित हो गया था। जहाज मालिकों को यूरोपीय संघ के अतिरिक्त प्रतिबंधों के डर से वाडिनार रिफाइनरी से उत्पादों का निर्यात रोक दिया गया। पोत परिवहन कंपनियां सुरक्षा और क्षतिपूर्ति (पीएंडआई) क्लब से यात्राओं के लिए बीमा कवरेज भी प्राप्त नहीं कर पाईं, जिनमें से अधिकांश यूरोप में स्थित हैं।
इससे घरेलू आपूर्ति तो रुकी ही, नायरा के सीमित निर्यात (जो उसके द्वारा निर्मित सभी उत्पादों का लगभग 25-30 प्रतिशत है) भी ठप हो गया, क्योंकि बैंकों ने ऐसी बिक्री के लिए भुगतान करने से इनकार कर दिया। बैंकों ने नायरा को कच्चा तेल खरीदने में मदद करने के लिए डॉलर देने से भी परहेज किया, जिसे उसकी रिफाइनरी में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है।
बैंकिंग माध्यम उपलब्ध नहीं होने और जहाज पर प्रतिबंध की वजह से नायरा अगस्त से केवल रूसी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा व्यवस्थित जहाजों के जरिये ही रूस से कच्चा तेल प्राप्त कर रही है। वह इराक और सऊदी अरब जैसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं से कच्चा तेल नहीं खरीद पाई है।
अधिकारियों ने कहा कि यूको बैंक को नायरा के कच्चे तेल के आयात और ईंधन निर्यात के लिए डॉलर में भुगतान की सुविधा के लिए एक तंत्र स्थापित करने का काम सौंपा गया था। लेकिन बैंक ने आगे बढ़ने में अपनी असमर्थता व्यक्त की है क्योंकि उसके यूएई साझेदार, मशरेक बैंक ने नायरा से जुड़े किसी भी लेनदेन को प्रसंस्कृत करने से इनकार कर दिया है।
अधिकारियों ने कहा कि विदेशी आपूर्ति एक मुद्दा बनी हुई है, लेकिन घरेलू आपूर्ति के मुद्दों को सुलझा लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय खरीद के लिए भुगतान बिना किसी रुकावट के रुपये में किया जा रहा है।
नायरा, जो गुजरात के वडिनार में दो करोड़ टन सालाना क्षमता वाली तेल रिफाइनरी की मालिक है, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन की प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। यह जहाज के माध्यम से महाराष्ट्र, कर्नाटक के मेंगलोर, चेन्नई और आंध्र प्रदेश व ओडिशा के कुछ हिस्सों में प्रमुख स्थानों पर ईंधन पहुंचाती है।
अन्य रिफाइनरियों के विपरीत, वडिनार रिफाइनरी किसी पाइपलाइन नेटवर्क से जुड़ी नहीं है जो सीधे उपभोग केंद्रों तक ईंधन पहुंचाती है। इसके बजाय, कंपनी उत्पादों को पास के बंदरगाहों तक पहुंचाने के लिए जहाजों पर निर्भर करती है, जहां से उन्हें ट्रक द्वारा वितरित किया जाता है।
यूरोपीय संघ के अंकुशों के बाद यह आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि भारत में समुद्री क्षेत्र की सर्वोच्च नियामकीय संस्था, नौवहन महानिदेशालय (डीजी शिपिंग) ने ईंधन की तटीय आवाजाही के लिए चार विदेशी ध्वज वाले जहाजों के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है।
एचपीसीएल अपनी रिफाइनरियों में बनने वाले उत्पादों की तुलना में अपने खुदरा नेटवर्क के जरिये ज़्यादा ईंधन बेचती है। वह नायरा से ईंधन खरीदकर इस कमी को पूरा करती है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा पोत परिवहन व्यवस्था आगामी त्योहारी सीज़न में मांग में होने वाली वृद्धि को पूरा करने में मदद करेगी।
नायरा के लिए दो जहाज पहले ही उत्पाद पहुंचा रहे हैं और तीसरा जल्द ही जुड़ जाएगा। चौथा जहाज अगले कुछ दिन में आने की संभावना है।
यूक्रेन युद्ध जारी रहने की वजह से यूरोपीय संघ ने जुलाई में रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर जनवरी, 2026 से प्रतिबंध लगा दिया और तेल की कीमतों की सीमा कम कर दी है।
वाडिनार रिफाइनरी में रूस की दिग्गज पेट्रोलियम कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
भाषा अजय