एल्गार परिषद मामला: न्यायालय ने महेश राउत को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी
वैभव मनीषा
- 16 Sep 2025, 11:28 AM
- Updated: 11:28 AM
नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राउत को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ राउत की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बावजूद अपनी कैद को चुनौती दी थी।
शीर्ष अदालत ने राउत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह के इस तर्क पर गौर किया कि आरोपी गठिया से पीड़ित है।
पीठ ने कहा, ‘‘आवेदक चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत मांग रहा है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसे वास्तव में (बंबई उच्च न्यायालय द्वारा) जमानत दी गई थी, हम छह सप्ताह की अवधि के लिए चिकित्सा जमानत देने के पक्ष में हैं।’’
उच्च न्यायालय ने राउत की जमानत याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के अनुरोध पर अपने ही आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी।
इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले में उनकी रिहाई पर लगी रोक बढ़ा दी।
राउत के वकील ने पहले कहा था कि वह गठिया से पीड़ित हैं और उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है जो जेल या जेजे अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, जहां उनकी जांच की गई है।
राउत एल्गार परिषद भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कई कार्यकर्ताओं में से एक हैं।
एल्गर परिषद सम्मेलन दिसंबर 2017 में पुणे के मध्य में स्थित 18वीं सदी के महल-किले, शनिवारवाड़ा में आयोजित किया गया था।
जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम में दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई।
एक अन्य आरोपी, सांस्कृतिक कार्यकर्ता सागर गोरखे उर्फ जगताप को सितंबर 2020 में कबीर कला मंच के अन्य सदस्यों के साथ सम्मेलन में भड़काऊ नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं।
पीठ एक अन्य कार्यकर्ता ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर भी सुनवाई कर सकती है, जिन्हें 2020 में एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार किया गया था।
भाषा वैभव