दिल्ली पुलिस ने फर्जी वीजा रैकेट का भंडाफोड़ किया, तीन गिरफ्तार
राखी नरेश
- 14 Sep 2025, 07:16 PM
- Updated: 07:16 PM
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने रविवार को फर्जी वीजा रैकेट का पर्दाफाश करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया जो खुद को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का कर्मचारी बताकर विदेश में नौकरी चाहने वालों से कथित तौर पर लाखों रुपये ठग रहे थे।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने एक फर्जी वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट बनाए और अमेरिका के आधार वाला फोन नंबर इस्तेमाल कर पीड़ितों का विश्वास प्राप्त किया।
इसके बाद वे नौकरी चाहने वालों को फर्जी दस्तावेज जारी कर उनसे बड़ी रकम ऐंठते थे।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की टीम ने नौ सितंबर को राजधानी के जमरूदपुर इलाके में छापा मारकर दीपक पांडे (33), यश सिंह (23) और वसीम अकरम (25) को गिरफ्तार किया।
अपराध शाखा के उपायुक्त विक्रम सिंह (डीसीपी) ने बयान में कहा, ‘‘आरोपियों ने नौकरी तलाशने वालों से फर्जी वीजा से जुड़े दस्तावेज, रोजगार पुष्टि पत्र जारी कर लाखों रुपये वसूले।’’
मामला तब सामने आया जब वीएफएस ग्लोबल ने शिकायत दी कि उसके नाम और लोगो का दुरुपयोग किया जा रहा है।
शिकायत में कहा गया था कि कुछ लोग खुद को उसका (वीएफएस ग्लोबल) कर्मचारी बता रहे हैं और आवेदकों से पैसे ऐंठ रहे हैं।
डीसीपी के अनुसार, गिरोह ने 2021 में एक डोमेन खरीदा और इसे नेहरू प्लेस और जनकपुरी के पते से जोड़कर विश्वसनीयता हासिल करने की कोशिश की। साथ ही, उन्होंने ऑनलाइन विज्ञापन देकर वीएफएस ग्लोबल की पहचान का दुरुपयोग किया।
गिरोह का तरीका यह था कि वह सोशल मीडिया पर पीड़ितों को “डॉक्यूमेंट चेकलिस्ट’’ भेजता और मेडिकल टेस्ट के लिए पैसे वसूलता। मेडिकल जांच के लिए असली 'अपॉइंटमेंट बुक' कराकर भरोसा भी दिलाता। इसके बाद फर्जी 'वर्क वीजा' आवेदन, रोजगार पुष्टि पत्र और 'ऑफर लेटर' जारी करता और अंत में फर्जी आव्रजन अप्रूवल, टैक्स डॉक्यूमेंट और पुलिस क्लीयरेंस फॉर्म दिखाकर और रकम ऐंठता।
डीसीपी ने कहा, "एक शिकायतकर्ता, अतुल कुमार टकले से 3.16 लाख रुपये की ठगी की गई। जांच में कई अन्य पीड़ितों का भी पता चला, जिनमें विदेशों में नौकरी तलाशने वाले भी शामिल हैं।"
पुलिस ने छापेमारी के दौरान लैपटॉप, मोबाइल फोन, फर्जी दस्तावेज, डॉक्यूमेंट बनाने वाला सॉफ्टवेयर और बैंक खातों का विवरण बरामद किया।
एक अधिकारी ने कहा, "मुख्य आरोपी दीपक पांडे के इकबालिया बयान को डिजिटल फॉरेंसिक सबूत, ईमेल लॉग, पीड़ितों के बयान और वित्तीय रिकॉर्ड से पुख्ता किया गया।"
पुलिस अब अन्य पीड़ितों की पहचान करने और धन के पूरे लेन-देन की कड़ी तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
भाषा
राखी