‘अवैध प्रवासियों’ को बांग्लादेश भेजने के विषय पर केंद्र और पश्चिम बंगाल हलफनामा दाखिल करें : न्यायालय
राजकुमार दिलीप
- 12 Sep 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
कोलकाता, 12 सितंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार को गृह मंत्रालय के पत्र के आधार पर बांग्लादेश के कथित अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के संबंध में उनके द्वारा उठाये गये कदमों के विवरण के साथ हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि जिस स्थान से इन कथित अवैध प्रवासियों (बंदियों) को वापस भेजा गया था, उसका खुलासा नहीं किया गया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने प्रशासन को निर्देश दिया कि वे उन स्थानों के बारे में बताएं, जहां से बंदियों को वापस भेजा गया ।
उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के कुछ बाशिंदों को बांग्लादेश का नागरिक होने के आधार पर वहां भेज दिया गया। ये लोग दिल्ली में काम करने वाले एक दिहाड़ी मजदूर के परिवार के सदस्य हैं।
इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को 19 सितंबर तक याचिकाकर्ता के दावों के विरोध में अलग-अलग हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को 22 सितंबर तक इस तरह के विरोध के जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले की फिर सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
केंद्र सरकार ने मामले की विचारणीयता के मुद्दे पर विरोध स्वरूप एक हलफनामा दायर कर दावा किया था कि यह याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष विचारयोग्य नहीं है।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि उक्त व्यक्ति को अवैध हिरासत लिये जाने का आरोप लगाते हुए पहले भी दिल्ली उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी थी।
चक्रवर्ती ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय में उक्त व्यक्तियों के निर्वासन को चुनौती देने वाली एक और याचिका दायर की गयी थी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने निर्वासन के आदेश का खुलासा करते हुए एक हलफनामा दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि जिस व्यक्ति को निर्वासित किया गया था, वह दिल्ली में हिरासत में था।
चक्रवर्ती ने दलील दी कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका, दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर दोनों याचिकाओं के तथ्य को दबाते हुए दायर की गई थी।
भोदू शेख नामक व्यक्ति ने अपनी याचिका में दावा किया था कि बीरभूम के मुराराई निवासी सोनाली और उसके पांच वर्षीय बेटे को दिल्ली में हिरासत में लेकर बांग्लादेश भेज दिया गया था। आमिर खान नामक व्यक्ति ने भी एक अन्य याचिका में इसी तरह का दावा किया था। आमिर ने दूसरी याचिका में कहा है कि उसी इलाके से उसकी बहन स्वीटी बीबी और उसके दो बच्चों को पड़ोसी देश भेज दिया गया है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि जिस स्थान से बंदियों को वापस भेजा गया था, उसका खुलासा केंद्र द्वारा नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति रीतब्रत कुमार मित्रा की इस पीठ ने कहा कि इस तरह के विवरण के अभाव में, क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को इस स्तर पर प्राथमिकता नहीं दी जा सकती और निर्णय नहीं किया जा सकता।
पीठ ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में कहा,‘‘यह मामला उन लोगों के जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित गंभीर मुद्दों से जुड़ा है, जो पश्चिम बंगाल राज्य के स्थायी निवासी हैं, लेकिन उन्हें आजीविका कमाने और अपने आश्रित परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए अन्य राज्यों की यात्रा करनी पड़ती है।’’
भाषा राजकुमार