विदेशों में तेजी, रुपये की गिरावट से अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम मजबूत
राजेश राजेश रमण
- 11 Sep 2025, 08:18 PM
- Updated: 08:18 PM
नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी और रुपये के मूल्य में गिरावट रहने के बीच घरेलू बाजार में बृहस्पतिवार को सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन जैसे आयातित तेलों के साथ साथ कम उपलब्धता और त्योहारी मांग के कारण बिनौला तेल की कीमतों में मजबूती रही।
निर्यात की कमजोर मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट दर्ज हुई जबकि मंहगे दाम पर कारोबार प्रभावित रहने से सरसों तेल-तिलहन और कमजोर हाजिर दाम रहने के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव स्थिर बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में सुधार है जबकि शिकागो एक्सचेंज में बुधवार रात लगभग 2.5 प्रतिशत की मजबूती रही थी और फिलहाल यहां मजबूती का रुख है। इस कारण सोयाबीन तेल, सीपीओ एवं पामोलीन जैसे आयातित तेल कीमतों में सुधार आया। बिनौला तेल की उपलब्धता कम है और त्योहारी मांग बढ़ने से इसकी कीमत मजबूती के साथ बंद हुए।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 36 पैसे टूटकर 88.47 (अस्थायी) के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। जिसके कारण आयात करने की लागत बढ़ गयी है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी को असर घरेलू बाजारों में अधिक नहीं हुआ क्योंकि घरेलू बाजारों में आयातक लागत से तीन-चार प्रतिशत के नीचे दाम पर आयातित तेल बेच रहे हैं। इससे किसी को नुकसान हो ना हो, लेकिन बैंकों के कर्ज का नुकसान यानी आम जनता के पैसों का नुकसान तो होने का खतरा अधिक है।
आयातक अपनी ऋण साखपत्र (लेटर आफ क्रेडिट) घुमाने के लिए आयातित माल को अफरा-तफरी में कम दाम पर बेच देते हैं। उनकी वित्तीय स्थिति इतनी कमजोर है कि वे रोक कर कम से कम लागत पर बेचने का धैर्य नहीं रख पाते।
उन्होंने कहा कि खाद्यतेल संगठनों या संबंधित प्राधिकारियों या फिर बैंकों की ओर से किसी न किसी को इस बारे में ध्यान देना होगा। बैंक चाहे तो ऐसे लागत से कम दाम पर बिक्री करने वालों की शिनाख्त करके उसपर अंकुश लगा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव के कारण मांग प्रभावित रहने के बीच सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर ही बने रहे। वहीं, महाराष्ट्र के सांगली में सोयाबीन तिलहन की छिटपुट रूप से फसल की नई खेप आने लगी है। नये बढ़े हुए एमएसपी के हिसाब से इस नयी फसल का हाजिर बाजार का दाम लगभग 22-24 प्रतिशत कम है। ऐसी स्थिति के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव भी स्थिर बने रहे।
सरकार की ओर से, देश में तेल-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को अच्छे दाम मिलना सुनिश्चित करने के साथ साथ देशी तेल-तिलहन का बाजार बनाने के लिए एक ठोस नीति बनाने की जरुरत है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,200-7,225 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,600-5,975 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,185-2,485 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,575-2,675 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,575-2,710 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,600-4,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,300-4,400 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश