खेड़ा के खिलाफ ईसी ने प्रतिशोध के तहत कदम उठाया, नोटिस की भाषा मानहानि वाली: कांग्रेस
हक हक नरेश
- 10 Sep 2025, 08:19 PM
- Updated: 08:19 PM
नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि दो स्थानों पर मतदाता होने के मामले में निर्वाचन आयोग (ईसी) ने पार्टी नेता पवन खेड़ा के खिलाफ प्रतिशोध के तहत तथा छवि धूमिल करने के मकसद से नोटिस जारी किया है।
पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने यह भी कहा कि आयोग के नोटिस में जिस भाषा का इस्तेमाल हुआ है और निजी जानकारी साझा की गई है, वो मानहानि वाली बात है।
सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा ‘‘बीते दो सितंबर को नई दिल्ली के जिला निर्वाचन कार्यालय ने पवन खेड़ा जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इतना ही नहीं, निर्वाचन आयोग ने पवन खेड़ा जी, उनकी पत्नी की निजी जानकारी साझा कर दी और जो नोटिस दी गई, उसकी भाषा भी दोषी ठहराने और मानहानि वाली है।’’
उन्होंने दावा किया कि गलती खुद चुनाव आयोग की है और आरोप पवन खेड़ा पर लगाए जा रहे हैं।’’
सिंघवी ने कहा, ‘‘2017 में पवन खेड़ा जी जब नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में रहने गए तो उन्होंने नए पते पर नाम स्थानांतरित करने के लिए आवेदन भरा, जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनका नाम नए पते पर स्थानांतरित कर दिया। खेड़ा जी के पास अपने नाम को स्थानांतरित कराने की प्रक्रिया की रसीद भी है, जिस पर 18 अगस्त 2017 की तारीख लिखी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब अचानक से आठ साल बाद दो जगह मतदाता होने की वो कहानी सामने आई है। अब आयोग पवन खेड़ा जी, उनकी पत्नी का नाम और छवि को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है।’’
सिंघवी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कुंभकरण भी छह महीने में उठ जाता था लेकिन चुनाव आयोग आठ साल सोता रहा और अब वो अपनी कहानी को नियमों का चोला पहना रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर राजनीतिक दल प्रतिशोध की भावना से ये काम करता तो समझ आता, लेकिन देश की संवैधानिक संस्था को ऐसा काम शोभा नहीं देता।’’
सिंघवी ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद में आधार कार्ड को भी दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए आयोग पर भी निशाना साधा।
उन्होंने सवाल किया कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है, ऐसे में उसे क्या आवश्यकता है कि जब कोर्ट कोई निर्देश दे, तभी वे कदम उठाएं?
सिंघवी ने कहा कि आयोग को बिहार में एसआईआर के मामले में स्वयं ही काम करना चाहिए था।
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