ईडी ने 346 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में छापेमारी की
देवेंद्र नरेश
- 10 Sep 2025, 02:17 PM
- Updated: 02:17 PM
नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा स्थित एक बिजली कंपनी और उसके प्रवर्तकों द्वारा कथित तौर पर 346 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले से जुड़ी धनशोधन जांच के सिलसिले में बुधवार को दिल्ली-एनसीआर, तमिलनाडु और कर्नाटक में छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
यह जांच गुरुग्राम स्थित हाइथ्रो पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के खिलाफ है, जो परिसमापन (लिक्विडेशन) के दौर से गुजर रही है। इसके निदेशकों अमूल गबरानी और अजय कुमार बिश्नोई के अलावा कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भी जांच जारी है।
धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज ईडी का मामला फरवरी 2025 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज प्राथमिकी से सामने आया है जिसमें प्रवर्तकों पर आरोप है कि उन्होंने ऋण राशि को अपनी कुछ संबद्ध संस्थाओं को ‘‘हस्तांतरित’’ कर दिया, जिससे बैंकों को नुकसान हुआ।
सूत्रों ने बताया कि ईडी के गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने इस जांच के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पांच परिसरों, चेन्नई में तीन और बेंगलुरु में एक परिसर में छापेमारी की।
मामले के विवरण के अनुसार, शिकायतकर्ता बैंकों द्वारा घोषित कथित धोखाधड़ी की राशि 346.08 करोड़ रुपये है, जिसमें पीएनबी द्वारा 168.07 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 77.81 करोड़ रुपये, कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा 44.49 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक द्वारा 55.71 करोड़ रुपये शामिल हैं और धोखाधड़ी 2009 और 2015 के बीच हुई बताई गई है।
विद्युत पारेषण एवं वितरण क्षेत्र की कंपनी एचपीसीएल, विद्युत पारेषण लाइन के लिए डिजाइन और विनिर्माण परियोजनाओं से जुड़ी हुई थी।
आरोप है कि कंपनी के प्रवर्तकों और निदेशकों ने बहु-बैंकिंग व्यवस्था के तहत पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से कुल 165.71 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं प्राप्त कीं।
ईडी ने कहा कि बैंक गारंटी को वित्त पोषित ब्याज अवधि ऋण (एफआईटीएल) में बदलने समेत कई पुनर्गठनों के बावजूद, एचपीसीएल ने ‘‘चूक’’ की और 31 मार्च, 2015 को इसे गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया और बाद में 13 जून, 2024 को आरबीआई को ‘‘धोखाधड़ी’’ की सूचना दी गई।
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