कांग्रेस ने केंद्र से आपदा-ग्रस्त उत्तराखंड के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का पैकेज मांगा
दीप्ति सुरभि
- 09 Sep 2025, 09:07 PM
- Updated: 09:07 PM
देहरादून, नौ सितंबर (भाषा) कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र से उत्तराखंड में हाल में आयी प्राकृतिक आपदाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने तथा बादल फटने, बाढ़ आने, भूस्खलन तथा भूधंसाव से तबाह हुए क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए तत्काल 20,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने की मांग की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे एक पत्र में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि लगातार भारी बारिश से उत्तराखंड के लगभग सभी पर्वतीय जिलों में जानमाल की बड़ी हानि हुई है।
उन्होंने कहा कि बादल फटने की घटनाओं ने कई स्थानों पर सामान्य जनजीवन ठप कर दिया और उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और पौड़ी जिलों में स्थिति बहुत गंभीर है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इन आपदाओं में मरने, लापता होने और घायल होने वाले लोगों की सही संख्या का अब तक खुलासा नहीं हुआ है।
माहरा ने कहा कि उन्होंने पहले केंद्र से 10,000 करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन अब स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह राशि अपर्याप्त लग रही है।
उन्होंने जोशीमठ और कर्णप्रयाग के बहुगुणा गांवों का भी जिक्र किया जहां कुछ साल पहले भूधंसाव के कारण कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे और कहा कि प्रभावित लोगों तक अब तक मदद नहीं पहुंच पायी है।
माहरा ने कहा, ‘‘धामी सरकार ने केंद्र सरकार से केवल 5700 करोड़ रुपये मांगे हैं जबकि अकेले जोशीमठ के पुनर्निर्माण के लिए ही करीब 6000 करोड़ रुपये की जरूरत है।... कुल मिलाकर, उत्तराखंड को कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए ताकि गांवों का पुनर्निर्माण किया जा सके।’’
नुकसान का आकलन करने के लिए प्रदेश के आपदा ग्रस्त जिलों का दौरा कर रही अंतर मंत्रालयी टीम के बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आकलन के लिए एक टीम भेजने के बजाय ऐसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि का अध्ययन करने तथा उसका एक स्थायी समाधान सुझाने के लिए भूवैज्ञानिकों तथा वैज्ञानिकों की एक टीम को राज्य में भेजा जाना चाहिए।
माहरा ने यह भी मांग की कि हर आपदा ग्रस्त परिवार को केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ओर से अलग-अलग दस लाख रुपये की तात्कालिक सहायता दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मकानों और इमारतों को हुए नुकसान का आकलन किया जाना चाहिए और उनके मालिकों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने विस्थापित लोगों के लिए टिहरी बांध विस्थापितों की तरह पुनर्वास की मांग भी की।
भाषा दीप्ति