उत्तराखंड में 2022 से अब तक 116 ‘भ्रष्टाचारी’ गिरफ्तार, इनमें से 20 राजपत्रित अधिकारी
दीप्ति सुरभि
- 09 Sep 2025, 07:24 PM
- Updated: 07:24 PM
देहरादून, नौ सितंबर (भाषा) उत्तराखंड में सतर्कता अधिष्ठान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए पिछले पौने चार साल में 20 राजपत्रित अधिकारियों समेत कुल 116 कर्मचारियों को सलाखों के पीछे भेजा।
उत्तराखंड सतर्कता अधिष्ठान के निदेशक डॉ वी मुरूगेशन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि वर्ष 2022 से अब तक प्रदेश में 79 ट्रैप (रिश्वत की मांग संबंधी शिकायत पर आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाना) की कार्रवाई की गयी जिसमें 92 अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 13 राजपत्रित अधिकारी थे।
उन्होंने बताया कि रिश्वत के मामलों के अलावा, इसी अवधि में अनियमितता संबंधी तथा भ्रष्टाचार के अन्य प्रकरणों में 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिसमें सात राजपत्रित अधिकारी शामिल थे।
मुरूगेशन ने बताया कि इस अवधि के दौरान अदालत में 37 निर्णीत प्रकरणों में से 28 में आरोपियों को सजा दिलवाई गयी और इस प्रकार सजा का प्रतिशत 71 प्रतिशत रहा।
उन्होंने बताया कि करीब दो दर्जन विभागों में रिश्वत की शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें से सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्व विभाग की हैं जहां 32 कार्मिकों को गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने बताया कि सतर्कता अधिष्ठान में शिकायतकर्ताओं की रिश्वत की धनराशि को वापस किए जाने के लिए एक ‘रिवॉल्विंग फंड’ की स्थापना की गयी है और अब तक 13 शिकायतकर्ताओं को 2,35,500 रुपये वापस किए जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में सतर्कता अधिष्ठान के 29 प्रकऱणों में अभियोजन स्वीकृति, मुकदमा दर्ज करने एवं खुली जांच की अनुमति प्राप्त होनी है जो शासन स्तर पर लंबित हैं।
निदेशक ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ‘जीरो टॉलरेंस’ (बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने) की नीति के तहत अप्रैल 2022 में भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर शुरू किए जाने से इस मुहिम में और तेजी आयी और इस पर अब तक 9424 शिकायतें प्राप्त हुईं हैं जिनमें से सतर्कता संबंधी 1421 शिकायतें हैं।
उन्होंने बताया कि इन शिकायतों में से 62 में जाल बिछाकर व अन्य में जांच की कार्रवाई की गयी है।
मुरूगेशन ने बताया कि राज्य के दूरस्थ एवं ग्रामीण क्षेत्रो में भी टोल फ्री नंबर का प्रचार प्रसार किया गया है जिसके फलस्वरूप सीमांत पिथौरागढ, चमोली एवं बागेश्वर में भी जनता की शिकायत पर भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारीयों के विरूद्ध रिश्वत के मामलों में कार्रवाई की गयी है।
भाषा दीप्ति