एनसीएपी के तहत स्वच्छ वायु प्रयासों के लिए इंदौर, अमरावती, देवास रैंकिंग में शीर्ष पर
आशीष माधव
- 09 Sep 2025, 04:35 PM
- Updated: 04:35 PM
नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में इंदौर, अमरावती और देवास मंगलवार को शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहर बनकर उभरे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यहां एक पुरस्कार समारोह में कहा कि कई शहरों ने औद्योगिक केंद्र होने या कोयला खदानें होने के बावजूद उल्लेखनीय प्रगति की है।
उन्होंने घोषणा की कि अगले वर्ष से शहरों में स्थित वार्ड का भी वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों के लिए मूल्यांकन किया जाएगा तथा इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इंदौर पहले स्थान पर रहा, उसके बाद जबलपुर (मध्यप्रदेश) का स्थान रहा। आगरा (उत्तर प्रदेश) और सूरत (गुजरात) संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे।
तीन से 10 लाख जनसंख्या श्रेणी में अमरावती (महाराष्ट्र) प्रथम, झांसी (उत्तर प्रदेश) और मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे, जबकि अलवर (राजस्थान) तीसरे स्थान पर रहा।
तीन लाख से कम आबादी वाले छोटे शहरों में देवास (मध्यप्रदेश) शीर्ष स्थान पर रहा, उसके बाद परवाणू (हिमाचल प्रदेश) और अंगुल (ओडिशा) ने जगह बनाई।
यादव ने कोयला खदानों की मौजूदगी के बावजूद वायु गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए अंगुल को विशेष रूप से बधाई दी।
उन्होंने ‘रामसर संधि’ के तहत आर्द्रभूमि शहरों के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए इंदौर और उदयपुर को भी पुरस्कृत किया।
यादव ने कहा कि भारत में रामसर स्थलों की संख्या 2014 में 25 से बढ़कर 2025 में 91 हो गई है। उन्होंने कहा, "अगर जंगल फेफड़े हैं, तो झीलें गुर्दे का काम करती हैं।"
यादव ने कहा, "वायु प्रदूषण से मुकाबले के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हमें पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग और चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना होगा।"
उन्होंने अन्य शहरों से इंदौर का अनुकरण करने का आग्रह करते हुए कहा, "अगर आपके शहर की हवा खराब है, तो यह आपके फेफड़ों में प्रवेश करेगी। अपने शहरों को बचाने के लिए प्रयास करें।"
मंत्री ने 17 सितंबर से दो अक्टूबर के बीच 75 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य घोषित किया।
पर्यावरण सचिव तन्मय कुमार ने कहा कि एनसीएपी के तहत शामिल 130 शहरों में से 64 ने 2017-18 की तुलना में पीएम10 के स्तर में 20 प्रतिशत या उससे अधिक की कमी की है, जबकि 25 शहरों ने 40 प्रतिशत या उससे अधिक की कमी हासिल की है।
वर्ष 2019 में शुरू एनसीएपी स्वच्छ वायु लक्ष्य निर्धारित करने वाली देश की पहली राष्ट्रीय पहल है, जिसका लक्ष्य 2017-18 को आधार वर्ष मानकर 2026 तक अति सूक्ष्म कण प्रदूषण में 40 प्रतिशत की कटौती करना है।
भाषा आशीष