जमीन के बदले नौकरी ‘घोटाला’ मामले में लालू ने अदालत से प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया
संतोष दिलीप
- 08 Sep 2025, 07:10 PM
- Updated: 07:10 PM
नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले में सीबीआई की प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया और दलील दी कि यह बिना किसी आवश्यक मंज़ूरी के दर्ज की गई थी।
यादव के वकील ने न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा के समक्ष दलील दी कि सीबीआई जांच ‘अवैध’ थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया, ‘‘सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अनिवार्य मंज़ूरी के बिना प्राथमिकी दर्ज की। इससे पूरी जांच अवैध हो जाती है। मंज़ूरी के अभाव में जांच शुरू ही नहीं हो सकती थी। पूरी कार्यवाही ही गलत है।’’
सिब्बल ने कहा कि मंजूरी इसलिए ज़रूरी थी, क्योंकि यादव उस समय रेल मंत्री के रूप में आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम मंजूरी नहीं मिलने को चुनौती दे रहे हैं। वे प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकते थे। जांच शुरू नहीं हो सकती थी। हम केवल आरसी को रद्द करने में रुचि रखते हैं।’’
इस बीच, सीबीआई ने यादव पर अधीनस्थ अदालत में आरोपों पर अपनी दलीलें ‘जानबूझकर’ पूरी न करने का आरोप लगाया।
सीबीआई के वकील ने कहा, ‘‘कल अधीनस्थ अदालत में दलीलें पूरी होंगी। वे जानबूझकर अधीनस्थ अदालत में अपनी दलीलें पूरी नहीं कर रहे हैं।’’
न्यायाधीश ने कहा कि मंजूरी नहीं मिलने का मामला अगर स्वीकार भी कर लिया जाए, तो यह केवल पीसी एक्ट के तहत अपराधों पर लागू होगा, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) पर नहीं। इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई को इस मामले में अधीनस्थ अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जबकि इससे पहले 29 मई को उच्च न्यायालय को कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ‘ठोस कारण’ नहीं मिला था।
यह मामला भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र (जिसका मुख्यालय मध्य प्रदेश के जबलपुर में है) में ग्रुप डी की नियुक्तियों से संबंधित है, जो 2004 से 2009 के बीच यादव के रेल मंत्री के रूप में कार्यरत रहने के दौरान की गई थीं।
ये नियुक्तियां कथित तौर पर नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों की ओर से राजद प्रमुख के परिवार या सहयोगियों के नाम पर हस्तांतरित की गई या उन्हें उपहार में दी गई जमीन के बदले में की गई थीं।
यादव और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ 18 मई, 2022 को मामला दर्ज किया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सक्षम अदालत के समक्ष ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल करने के बाद सीबीआई की प्रारंभिक पूछताछ और जांच बंद होने के लगभग 14 साल की देरी के बाद 2022 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
भाषा संतोष