लंबे समय तक गर्मी में रहना, दिल्ली में कई मौतों का कारण: रिपोर्ट
अमित नरेश
- 08 Sep 2025, 06:19 PM
- Updated: 06:19 PM
नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) दिल्ली में पिछले 12 वर्षों के दौरान जून, जुलाई और अगस्त में मौतों की प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक बढ़े हुए तापमान में रहने से राष्ट्रीय राजधानी में 'अज्ञात' मौतों में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है।
‘ग्रीनपीस इंडिया’ द्वारा प्रकाशित 'डेथ एंड डिग्री' शीर्षक वाली रिपोर्ट में "शहर में अत्यधिक गर्मी और मृत्यु दर के बीच स्पष्ट संबंध" बताया गया है।
रिपोर्ट लिखने वालों ने 2015-2024 के दौरान की प्रवृत्ति का अध्ययन किया और कहा कि जून से सितंबर के महीनों में यूटीसीआई (यूनिवर्सल थर्मल क्लाइमेट इंडेक्स) के आंकड़े लगातार उच्च रहते हैं, जबकि इन महीनों में हवा का तापमान उच्च नहीं होता। यूटीसीआई बताता है कि बाहर की गर्मी शरीर को कितनी महसूस होगी।
इसमें लिखा गया है, ‘‘जुलाई और अगस्त के महीने अब गर्मियों के चरम महीनों जितने ही असहनीय हो गए हैं, जो इस बात का संकेत है कि गर्मी से होने वाली परेशानी मानसून के मौसम में भी लंबे समय तक बनी रहती है।’’
इसमें कहा गया है कि गर्मी के साथ-साथ हवा में आद्रता भी शहर में खतरनाक तापमान की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
इसके अलावा, टीम को यह भी पता चला कि मौतों में बढ़ोतरी की यह प्रवृत्ति शहर में हुई अज्ञात मौतों के डेटा से भी ‘‘चिंताजनक’’ तरीके से मेल खाती है, जो अक्सर सबसे कमजोर तबके के लोगों की होती है। 2019 में जून से अगस्त के बीच मौतों की संख्या 5,341 थी, जो 2022-2024 के दौरान बढ़कर 11,819 हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जून महीने में सबसे अधिक चरम यूटीसीआई दर्ज होता है और जून के दौरान हर साल सबसे अधिक मौतें होती हैं।
टीम ने यह भी पाया कि 2024 में 11 से 19 जून के बीच गर्मी से 192 बेघर लोगों की मौत हुई, जो पिछले दो दशकों में सबसे अधिक है। यह आंकड़ा शहर के सबसे कमजोर तबके को भीषण गर्मी से बचाने में व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है।
रिपोर्ट के लेखकों ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो, 2022 के आंकड़ों का हवाला दिया जिसमें बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में मौतों में से नौ प्रतिशत से अधिक मौतें 'गर्मी या धूप लगने’ से जुड़ी थीं और ज्यादातर व्यक्ति 30 से 60 साल के बीच के थे।
टीम ने कहा कि 2023 के ‘लैंसेट काउंटडाउन’ के आंकड़े से पता चलता है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में गर्मी से होने वाली मौतों में 2000-2004 की तुलना में 2018-2022 के दौरान 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, डेटा के अनुसार ‘ग्लोबल वार्मिंग’ में दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से गर्मी से होने वाली मौतों में 370 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भाषा अमित