झारखंड: खूंटी में पुल ढहने के बाद ग्रामीण बना रहे वैकल्पिक सड़क
प्रीति नेत्रपाल
- 08 Sep 2025, 03:48 PM
- Updated: 03:48 PM
खूंटी, आठ सितंबर (भाषा) झारखंड के खूंटी जिले में बनई नदी पर एक पुल के ढह जाने के बाद करीब 300 ग्रामीण सामूहिक श्रमदान करते हुए पुल के किनारे एक वैकल्पिक सड़क का निर्माण कर रहे हैं। पेलोल गांव के मुखिया ने सोमवार को यह जानकारी दी।
बिचना पंचायत के पेलोल गांव के ग्राम प्रधान शिवशंकर तिरु (42) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘खूंटी से विधायक राम सूर्य मुंडा और जिला प्रशासन के खोखले आश्वासन से ग्रामीण निराश हैं। चाहे स्कूल जाने वाले बच्चे हों, गर्भवती महिलाएं हों, किसान हों या व्यापारी हों, सभी को टूटे हुए पुल और एक वैकल्पिक सड़क न होने के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पुल ढहने के बाद से लगभग 80 दिन बीत चुके थे, हमारे पास वैकल्पिक सड़क बनाने के लिए ‘श्रमदान’ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था...।’’
तिरु के अनुसार, पेलोल और पड़ोसी गांव बिचना, किंजला, अंगरा बड़ी, सरित खेल, घाघरा, डोरमा, सुंगी और हस्सा के लगभग 300 ग्रामीण रविवार दोपहर को इस प्रयास में शामिल हुए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने ग्रामीणों से मिले चंदे से 10,000 रुपये इकट्ठा किए, पत्थर के टुकड़े, सीमेंट की बोरियां, नदी किनारे से रेत, मिट्टी और पत्थर इकट्ठा किए तथा हमें उम्मीद है कि सोमवार शाम तक वैकल्पिक सड़क का निर्माण पूरा हो जाएगा। वैकल्पिक सड़क का यह हिस्सा 200 मीटर से ज़्यादा लंबा और लगभग पांच मीटर चौड़ा है।’’
श्रमदान में शामिल हुए पेलोल के किसान लक्ष्मण महतो ने कहा, ‘‘यह उदाहरण है कि किस तरह सरकारी तंत्र ग्रामीणों की बुनियादी समस्याओं को दूर करने में विफल रहा है और उसने सिर्फ झूठे आश्वासन दिए हैं। हमने देखा कि कैसे स्थानीय विधायक ने जून में वैकल्पिक सड़क का शिलान्यास भी किया था। लेकिन एक भी पत्थर नहीं लगाया गया। किसी भी सरकारी अधिकारी ने हमसे मिलने की ज़हमत तक नहीं उठाई।’’
भारी बारिश के कारण 19 जून को यह पुल ढह गया था। यह घटना तब सुर्खियों में आई जब एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कई छात्र विद्यालय जाते समय ढहे हुए पुल को पार करने के लिए 25 फुट ऊंची बांस की सीढ़ी चढ़ते हुए दिखाई दिए।
वीडियो सामने आने के बाद प्रशासन ने यहां से आवाजाही पर रोक लगा दी और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
खूंटी से विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता राम सूर्य मुंडा से संपर्क करने का बार-बार प्रयास किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
जिला उपायुक्त आर. रॉनिटा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पुल के ढहने के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने इसकी मरम्मत और वैकल्पिक सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। यह काम राज्य सरकार के सड़क निर्माण विभाग (आरसीडी) को करना था। हमने अधिकारियों को सूचित कर दिया था और निविदा का काम पूरा हो गया। न केवल पुल की मरम्मत के लिए, बल्कि वैकल्पिक सड़क के निर्माण के लिए भी कार्यादेश जारी कर दिया गया था। मैं खूंटी स्थित आरसीडी इकाई के कार्यपालक अभियंता से बात करूंगी कि उन्होंने अब तक वैकल्पिक सड़क का निर्माण क्यों शुरू नहीं किया है।’’
भाषा प्रीति