स्वैच्छिक सामुदायिक पुनर्वास नीति का वन्यजीव गलियारों में विस्तार करने पर नहीं हो सका फैसला
राजकुमार पारुल
- 07 Sep 2025, 06:52 PM
- Updated: 06:52 PM
नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एससीएनबीडब्ल्यूएल) की स्थायी समिति ने वन्यजीव गलियारों में स्वैच्छिक सामुदायिक पुनर्वास नीति का विस्तार करने और रीसस बंदर को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत पुनर्वर्गीकृत करने के मुद्दे पर अपने फैसले को स्थगित कर दिया है। उसने इस विषय पर और अध्ययन एवं व्यापक परामर्श करने का आह्वान किया है।
फिलहाल स्वैच्छिक पुनर्वास नीति बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों तक सीमित है, लेकिन पुनर्वास प्रस्ताव में इसका ‘‘महत्वपूर्ण जैव विविधता संपन्न क्षेत्रों, बफर जोन और वन्यजीव गलियारों में रहने वाले समुदायों’’ तक विस्तार करने तथा ‘‘संरक्षित क्षेत्रों के लचीलेपन में सुधार लाने के लिए पर्यावास की सघनता को मजबूत करने’’ की बात कही गई है।
एजेंडा नोट के अनुसार, जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों या गलियारों में रहने वाले समुदायों को अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्ष से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें फसलों का विनाश, पशुधन का शिकार और कभी-कभी बाघ, तेंदुआ और हाथियों जैसे जंगली जानवरों से इंसानों पर सीधे हमले का खतरा भी शामिल है।
नोट के मुताबिक, इनमें से कई परिवारों ‘‘की अन्य क्षेत्रों में जाने की तीव्र इच्छा है, जहां उन्हें बेहतर आर्थिक अवसर और आवश्यक सार्वजनिक सेवाएं प्राप्त हो सकें। हालांकि, वर्तमान नीतिगत ढांचे में उनके स्वैच्छिक स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है, जिससे वे नीतिगत उपेक्षा की स्थिति में हैं।’’
उन्नीस अगस्त को एससीएनबीडब्ल्यूएल की बैठक के दौरान, सदस्य सचिव रमेश कुमार पांडे ने समिति को बताया कि ‘‘बाघ अभयारण्यों और 680 संरक्षित क्षेत्रों में पुनर्वास का काम पूरा नहीं हुआ है तथा इस नीति का गलियारों तक विस्तार करना बहुत जल्दबाजी और सह-अस्तित्व के सिद्धांत के खिलाफ होगा।’’
शनिवार को प्रकाशित बैठक के विवरण के अनुसार, पांडे ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए प्रबंधन प्रथाओं’’ पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
प्रस्ताव लाने वाले एससीएनबीडब्ल्यूएल सदस्य एचएस सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि मांग-आधारित पुनर्वास पर विचार किया जा सकता है।
उचित विचार-विमर्श के बाद, समिति ने निर्णय लिया कि ‘‘संरक्षित क्षेत्रों से समुदायों के पुनर्वास पर वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का एक अध्ययन और वैश्विक स्तर पर पुनर्वास के संबंध में किए गए कार्यों, नीतियों और कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए।’’
वर्तमान में, भारत की स्वैच्छिक पुनर्वास नीति, मुख्य या महत्वपूर्ण बाघ आवासों में रहने वाले परिवारों को स्वेच्छा से बाहर जाने की अनुमति देती है। प्रत्येक परिवार या तो खुद पुनर्वास के लिए 15 लाख रुपये नकद ले सकता है या भूमि, आवास और बुनियादी सुविधाओं के साथ सरकारी सहायता प्राप्त पुनर्वास का विकल्प चुन सकता है। इस योजना का उद्देश्य मानव-बाघ संघर्ष को कम करना और बाघ संरक्षण में सहायता करना है।
भाषा राजकुमार