महाराष्ट्र सरकार शासकीय आदेशों को ‘कॉर्पोरेट स्टाइल’ में बदलने पर कर रही विचार
आशीष सुरेश
- 07 Sep 2025, 05:18 PM
- Updated: 05:18 PM
(निखिल देशमुख)
मुंबई, सात सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार अपने आदेशों को ‘कॉर्पोरेट स्टाइल’ में बदलने की योजना बना रही है। इसके तहत, पुरानी शैली में कानूनी विवरण की जगह आकर्षक प्रस्तुति होगी जिसमें बिंदुवार ब्योरा, ग्राफ और रंगीन प्रारूप शामिल हो सकते हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, प्रशासनिक सुधारों पर कई दौर की बैठकें की गईं और सरकारी आदेशों को फिर से डिजाइन करना इस आधुनिकीकरण प्रक्रिया का हिस्सा है।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘शासकीय आदेश एक कानूनी दस्तावेज है, लेकिन यह सिर्फ विभागों के बीच फैसलों के लिए नहीं है। आम लोग भी अक्सर इन दस्तावेजों को देखते हैं और उनमें से कई सोशल मीडिया पर साझा भी किए जाते हैं। हमने देखा है कि मौजूदा प्रारूप बहुत सीधा-सादा है और भाषा भी बहुत कानूनी है, जिससे लोगों को इसे जल्दी समझना मुश्किल होता है।’’
सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग हर फैसले के पीछे की वजह और मकसद को आसानी से समझ सकें। आमतौर पर, सरकारी आदेशों की शुरुआत निर्णय लेने की प्रक्रिया के विस्तृत विवरण से होती है, लेकिन उनका कहना है कि इस तरह का लंबा-चौड़ा विवरण अक्सर भ्रम या गलतफहमी पैदा करता है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में जारी कई सरकारी प्रस्ताव में पहले ही रेखाचित्र और फ्लोचार्ट का प्रयोग किया गया है, साथ ही जानकारी को बिंदुवार रूप में प्रस्तुत किया गया है। अब हम इस तरह के प्रारूप को औपचारिक रूप देने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।’’
यह कदम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शासन में दक्षता बढ़ाने के प्रयासों के मद्देनजर उठाया गया है। इस साल जनवरी से राज्य ने अपना महत्वाकांक्षी 100-दिवसीय कार्यक्रम शुरू किया और सभी विभागों के कामकाज की समीक्षा भी शुरू की, जो जनता के अनुकूल शासन की ओर एक बदलाव का संकेत है।
शासकीय आदेश के नए डिज़ाइन को इसी दिशा में एक पूरक कदम के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर जानकारी फैलने की रफ्तार ने भी हालात बदल दिए हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘पहले लोग सरकार के फैसलों के बारे में अगले दिन अखबारों से ही जान पाते थे, लेकिन अब, जब कोई शासकीय आदेश आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड हो जाता है, तो कुछ ही घंटों में वह सोशल मीडिया पर आ जाता है, खासकर अगर वह आम जनता से जुड़ा हो। हालांकि, अगर भाषा जटिल और प्रस्तुति साधारण हो, तो इससे भ्रम पैदा होता है, जो कभी-कभी बेवजह की अव्यवस्था भी पैदा कर सकता है।’’
उन्होंने कहा कि गलतफहमी से बचने के लिए, सरकार ऐसे तरीके तलाश रही है, जिससे सरकारी आदेश न केवल भाषा की दृष्टि से स्पष्ट हों, बल्कि देखने में भी आकर्षक लगें।
भाषा आशीष