सिजेरियन के बाद संभव है सामान्य प्रसव: महिलाओं ने अपनी वीबीएसी यात्रा साझा की
नेत्रपाल दिलीप
- 07 Sep 2025, 04:49 PM
- Updated: 04:49 PM
नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) सिजेरियन प्रसव आज के युग में तेजी से आम होता जा रहा है, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद अगली बार सामान्य प्रसव की संभावनाएं धूमिल नहीं होतीं। सीजेरियन के बाद अगली बार सफल सामान्य प्रसव की महिलाओं की कहानियां आशा और आश्चर्य दोनों लाती हैं।
चिकित्सकीय भाषा में इसे वीबीएसी (सिजेरियन के बाद योनि से जन्म) के नाम से जाना जाता है, तथा यह विकल्प गर्भवती महिलाओं के लिए पसंदीदा बनता जा रहा है।
अंबाला की स्तुति जैन का ही उदाहरण लीजिए। उनका पहला बच्चा ऑपरेशन से पैदा हुआ था, जबकि दूसरा बच्चा प्राकृतिक रूप से सामान्य प्रसव के जरिए पैदा हुआ।
स्तुति एक स्कूल की संचालक हैं और उनके पति चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वे सीताराम भरतिया विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान में वीबीएसी के बारे में जानने के बाद दिल्ली आए।
इससे संबंधित एक और प्रेरणादायक कहानी दिल्ली के वसंत कुंज की आकांक्षा लाल की है, जो इस जून में तीसरी बार मां बनीं।
उनका पहला बच्चा 2017 में सर्जरी के माध्यम से पैदा हुआ था, लेकिन उनके अगले दो बच्चे सामान्य रूप से पैदा हुए।
बहुराष्ट्रीय कंपनी में विपणन निदेशक लाल अस्पताल के ‘‘सहयोगात्मक’’ रवैये की प्रशंसा करती हैं, जिसकी बदौलत उनके पति प्रसव के दौरान उनके साथ रहे। उन्होंने कहा कि एक तरह से इस दर्द को उन्होंने अकेले नहीं, बल्कि उनके साथ उनके पति ने भी महसूस किया।
लाल ने जनवरी 2024 में अपनी दूसरी बेटी और इस वर्ष जून में अपने बेटे का स्वागत किया।
डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि वीबीएसी को अधिक सटीक रूप से टीओएलएसी (सिजेरियन के बाद प्रसव का परीक्षण) कहा जाना चाहिए।
सीताराम भरतिया अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति अरोड़ा के अनुसार, अस्पताल में टीओएलएसी मामलों में 80 प्रतिशत सफलता दर है, जबकि पहली बार मां बनने वाली महिलाओं में 87 प्रतिशत मामलों में सामान्य प्रसव होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और सबसे महत्वपूर्ण, रोगी की प्रेरणा सकारात्मक परिणामों की कुंजी हैं।’’
डॉक्टर वीबीएसी की सिफारिश करने से पहले कई कारकों का आकलन करते हैं, जिसमें पहले सिजेरियन का कारण, सिजेरियन और अगली गर्भावस्था के बीच पर्याप्त अंतराल, शल्य चिकित्सा का इतिहास, चीरे का आकार, जटिलताएं या संक्रमण, बच्चे का वजन और संभावित प्रसव संबंधी जटिलताएं शामिल हैं।
सीताराम भरतिया अस्पताल की ही डॉ. राखी ने बताया कि कई महिलाएं दर्द के डर से सिजेरियन का विकल्प चुनती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आजकल दर्द निवारक इंजेक्शन उपलब्ध हैं। इसके अलावा, शोध से पता चलता है कि जब प्रसव के दौरान कोई साथी या परिवार का कोई करीबी सदस्य मौजूद होता है, तो माँ को दर्द का एहसास कम होता है। हम इस सहायता प्रणाली को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करते हैं।’’
बढ़ती जागरूकता और सही चिकित्सा मार्गदर्शन के साथ, अधिकाधिक महिलाएं यह जान रही हैं कि सिजेरियन के बाद सामान्य प्रसव केवल एक संभावना नहीं है, बल्कि यह एक सुरक्षित वास्तविकता हो सकता है।
भाषा नेत्रपाल