बाढ़ हफ्तेभर तक रहती, पर इसका असर महीनों तक रहता है: दिल्ली के बाढ़ पीड़ित
नोमान संतोष
- 06 Sep 2025, 07:52 PM
- Updated: 07:52 PM
(नेहा मिश्रा)
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) दिल्ली में यमुना की बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। कई पीड़ितों के लिए 2023 आई आपदाकारी बाढ़ की डरावनी यादें ताजा हो गई हैं जब उन्हें घर लौटने पर कीचड़, टूटे मीटर और सांप का सामना करना पड़ा था।
साल 2023 की बाढ़ को याद करते हुए 34 वर्षीय नीलम कुमारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “उस समय बिजली नहीं थी। पूरा महीना अंधेरे में बीता। हमें सोलर लाइट, मोमबत्ती और बैटरी से चलने वाली लाइटों पर निर्भर रहना पड़ा।”
उन्होंने कहा, “कई बार मेरे बच्चों ने सांपों को अपने कानों में रेंगते या पेड़ों से लटकते देखे और हमें लगातार चौकसी रखनी पड़ती थी। 2023 में एक लड़की को सांप ने काट लिया था।”
लोग याद करते हैं कि पिछली बाढ़ से उनके घरों में दरारें पड़ गईं, उपकरण शॉर्ट-सर्किट से खराब हो गए और फर्नीचर कीचड़ से सन गए।
कुमारी ने कहा, “मुसीबत तब शुरू हुई जब हम वापस पर लौटे। महीने भर तक बिजली नहीं आई, क्योंकि मीटर और तार खराब हो गए थे। बिजली तभी बहाल हुई जब सभी मीटर बदल दिए गए, जिसमें करीब एक महीना लगा।”
दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वी दिल्ली में 7,200 लोग प्रभावित हुए हैं, जहां सात राहत शिविर लगाए गए हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 5,200 लोग प्रभावित हुए हैं और वहां 13 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में 4,200 लोग प्रभावित हैं और आठ राहत शिविर लगाए गए हैं।
उत्तर दिल्ली में 1,350 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और उन्हें छह राहत शिविरों में ठहराया गया है। शाहदरा जिले में 30 लोग प्रभावित हुए हैं और उनके लिए एक राहत शिविर लगाया गया है।
राहत शिविरों में शरण लिए लोगों का कहना है कि अस्थायी आश्रयों में रहने को लेकर उन्हें ज्यादा चिंता नहीं है।
कुमारी ने कहा, “हमें यहां ज्यादा दिक्कत नहीं है। कम से कम खाने और छत की सुविधा है।”
हालांकि माता-पिता को अपने बच्चों की सबसे ज्यादा चिंता है, जिनकी स्कूल की वर्दी और किताबें बाढ़ में बह गईं।
एक ऑटो-रिक्शा चालक रमेश ने कहा, “कपड़े और बर्तन से लेकर बिजली के उपकरण और फर्नीचर तक सब कुछ खराब हो गया है। हमें सब दोबारा खरीदना होगा, जिसमें राशन, स्कूल की किताबें और वर्दी भी शामिल हैं।”
एक प्रभावित परिवार ने कहा, “बाढ़ के बाद हमारी मदद करने कोई नहीं आता। घर तक जाने वाली गलियां कीचड़ से भर जाती हैं और हमें सब कुछ खुद साफ करना पड़ता है।”
तीन बच्चों की मां सुनीता देवी ने कहा, “घुटनों तक भरी कीचड़ साफ करने में कई दिन, कभी-कभी हफ्तों लग जाते हैं। तभी घर ठीक से साफ हो पाता है।”
उन्होंने कहा कि राहत शिविर अस्थायी आश्रय और मदद तो देते हैं, लेकिन असली मुसीबत तब सामने आती है जब लोग अपने घर लौटते हैं, जहां कीचड़ जमा होता है, बिजली नहीं होती, मीटर खराब हो जाते हैं।
देवी ने कहा, “बाढ़ तो एक हफ्ते रहती है, लेकिन उसका असर महीनों तक रहता है।”
भाषा
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