भारत को बेहतर विपक्षी नेताओं की जरूरत, जीएसटी की आलोचना गलत जानकारी पर आधारित: सीतारमण
पारुल सुभाष
- 06 Sep 2025, 06:42 PM
- Updated: 06:42 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी सुधारों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना को “गलत जानकारी” पर आधारित करार देते हुए शनिवार को कहा कि भारत को बेहतर विपक्षी दल और बेहतर विपक्षी नेताओं की जरूरत है।
सीतारमण ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किये जाने के समय चार कर दर रखने के लिए भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
वित्त मंत्री ने कहा कि चार कर दर रखने का फैसला भाजपा का नहीं था और न ही ऐसा था कि तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अलग-अलग कर दर या किसी खास वस्तु पर जीएसटी दर तय कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री भी इस फैसले में शामिल थे।
सीतारमण ने सवाल किया, “क्या उन्हें (विपक्ष को) इसकी जानकारी नहीं है?”
जुलाई 2017 में जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले चार जीएसटी दर तय करने में विपक्षी दल शासित राज्यों की भूमिका के बारे में बताते हुए सीतारमण ने कहा कि देश को पेड़ कटाई जैसे मुद्दों के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन की तर्ज पर बेहतर विपक्ष और बेहतर विपक्षी नेताओं के लिए भी मुहिम चलाने की जरूरत है।
वित्त मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर विपक्षी नेता तथ्य पेश कर उन्हें गलत साबित कर दें, तो उन्हें माफी मांगने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।
सीतारमण ने कहा, “मुझे कोई अहम नहीं है। मैं लोगों से माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं। लेकिन वे (विपक्षी नेता) जो कह रहे हैं, वह बकवास है।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस अब हरकत में आ गई है। अगर आप मुद्दे को नहीं समझते हैं, तो कम से कम आप चुप रह सकते हैं।”
सीतारमण ने मुख्य विपक्षी दल को याद दिलाया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार प्राप्त समिति ने ही जीएसटी लागू होने से पहले चार कर दर रखने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि 2017 से जीएसटी में क्या लागू किया जाना है, इसका खाका इसी समिति ने तैयार किया था।
बुधवार को, केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों की भागीदारी वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया।
सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल सहित कई वर्षों तक चले विचार-विमर्श के दौरान विपक्षी दल शासित अन्य राज्यों के वित्त मंत्रियों के अलावा वामपंथी नेता और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता अधिकार प्राप्त समिति के प्रमुख के रूप में परामर्श को आगे बढ़ाने में शामिल रहे थे।
उन्होंने कहा कि अधिकार प्राप्त समिति ने विभिन्न राज्यों में किसी वस्तु पर कर की विभिन्न दरों का आकलन किया, एक औसत निकाला और फिर उस उत्पाद को औसत के निकटतम चार जीएसटी दरों में से एक में रखने पर सहमति जताई।
वित्त मंत्री के पद पर सीतारमण का यह सातवां वर्ष है। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने उपभोक्ताओं को राहत देने के मकसद से सरकार के कुछ प्रमुख सुधारों की अगुवाई की, जिसमें पिछले आम बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये किया जाना और उद्योगों की मदद के लिए कई उपायों की घोषणा शामिल है, लेकिन आर्थिक मुद्दों पर उन्हें अक्सर विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा है।
वित्त मंत्री ने जीएसटी को लेकर सरकार की आलोचना किये जाने पर जोरदार पलटवार किया।
उन्होंने कहा, “भारत को बेहतर विपक्ष की जरूरत है। मैं इस बात में पूरी तरह से विश्वास करती हूं। भारत को बेहतर विपक्षी नेताओं की जरूरत है। गलत जानकारी वाली टिप्पणियों से कोई फायदा नहीं होगा। ये नेता जनता को गुमराह कर रहे हैं। वे देश की सेवा नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
सीतारमण ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस तर्क को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने की घोषणा करके जीएसटी परिषद को कमजोर किया है। जीएसटी परिषद एक संवैधानिक निकाय है, जो अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले लेती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सुधारों के बारे में देश को संदेश दिया। उन्होंने सवाल किया, “इसमें गलत क्या है?”
यह पूछे जाने पर कि क्या लोगों को राहत देने के मकसद से सुधारों का दौर जारी रहेगा, क्योंकि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में आयकर छूट की सीमा बढ़ाने और जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने जैसे उपाय कर चुकी है, सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा से जन-हितैषी सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी यह काम जारी रखा और आगे भी जारी रखेगी।
जीएसटी परिषद ने दो सितंबर को कर दर को पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत तक सीमित करने तथा 12 फीसदी और 28 फीसदी की दो अन्य दरों को हटाने को मंजूरी दे दी थी। यह व्यवस्था 22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन से प्रभावी होगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि उनकी पार्टी कई वर्षों से जीएसटी के सरलीकरण की मांग कर रही है। उन्होंने मोदी सरकार पर लंबे समय से लोगों पर उच्च कर दरों का बोझ डालने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे जीएसटी 1.5 बताया और दावा किया कि जीएसटी 2.0 का इंतजार जारी है।
भाषा पारुल