अगप अप्रवासी विदेशियों संबंधी निर्देशों से असम को छूट देने के लिए न्यायालय का रुख करेगी
धीरज संतोष
- 06 Sep 2025, 08:45 PM
- Updated: 08:45 PM
गुवाहाटी, छह सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत असम सरकार में सहयोगी असम गण परिषद (अगप) ने शनिवार को कहा कि अप्रवासी विदेशियों पर केंद्र के हालिया निर्देश से पूर्वोत्तर राज्य को अलग रखने के लिए वह उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।
असम गण परिषद (अगप) ने कहा कि वह हाल के आदेश सहित असम समझौते की भावना के विरुद्ध किसी भी कदम के विरोध में है।
असम समझौते पर छह साल तक चले विदेशी विरोधी हिंसक आंदोलन के बाद 15 अगस्त 1985 को हस्ताक्षर किये गये थे। उक्त आंदोलन में हजारों लोगों की जान गई थी। अगप का गठन आंदोलन की एक शाखा के रूप में किया गया था।
अगप के उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद कुमार दीपक दास ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर करने का निर्णय लिया है, जिसमें असम को इस आदेश से छूट देने का अनुरोध किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘असम समझौते को कमजोर करने या उसके खिलाफ लिए गए किसी भी फैसले का हमारी पार्टी कड़ा विरोध करेगी।’’
केंद्र ने हाल ही में लागू आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 के तहत जारी आदेश में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में रहने की अनुमति दी गई है, बशर्ते वे धार्मिक उत्पीड़न से बचकर आए हैं।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए भारत में प्रवेश की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2014 निर्धारित की गई थी। सीएए के खिलाफ भी राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
दास ने कहा, ‘‘हमने असम में सीएए को लागू करने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और अनुरोध किया था कि हमारे राज्य को इससे छूट दी जाए, क्योंकि असम समझौते में 25 मार्च, 1971 के बाद आए अवैध विदेशियों का पता लगाने का प्रावधान किया गया था। इसी तर्ज पर, हम इस नवीनतम आदेश के मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालिया आदेश समझौते के कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा है, और समझौते के सभी खंडों के कार्यान्वयन के संबंध में हमारा रुख साफ है कि कोई समझौता नहीं होगा।’’
अगप के सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बने रहने के सवाल पर दास ने कहा कि इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कल शाम हमारी पार्टी की एक बैठक हुई जिसमें उच्चतम न्यायालय का रुख करने का फैसला किया गया। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हमें विश्वास है कि वह हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगी।’’
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अगप के रुख को लेकर निशाना साधा है। इस बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा, ‘‘असम समझौते के खिलाफ जाने वाली किसी भी चीज का विरोध करने में हम सबसे आगे रहे हैं। जब सीएए संसद में एक विधेयक के रूप में आया था, तब भी हमने इसका विरोध किया था। 2019 में लोकसभा में इसे पारित किए जाने पर असम सरकार में हमारे तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।’’
दास ने यह पूछे जाने पर कि क्या अगप कानूनी रास्ते के अलावा किसी और तरह का आंदोलन शुरू करेगी कहा, ‘‘अन्य दल और संगठन सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हम अदालत जाकर उनसे दो कदम आगे हैं।’’
विपक्षी दलों ने इस नवीनतम निर्देश की आलोचना की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि यह राज्य को ‘‘विदेशियों के लिए पनाहगाह’’ में तब्दील कर देगा। उसने इस आदेश को भाजपा की ‘‘विदेशियों को वैध बनाने के लिए असम समझौते को रद्द करके असमिया लोगों के अस्तित्व को नष्ट करने की गहरी साजिश’’ करार दिया है।
असम जातीय परिषद ने भाजपा पर ‘‘हिंदू बांग्लादेशी वोटों’’ के लिए असमिया लोगों के अस्तित्व को खतरे में डालने का आरोप लगाया है और इसे उनके खिलाफ ‘‘अब तक का सबसे बड़ा अपराध’’ बताया है।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने भी केंद्र के आदेश का विरोध किया है और अपनी मांग दोहराई है कि राज्य से सीएए को वापस लिया जाए।
हालांकि, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई ने इस आदेश का बचाव करते हुए दावा किया कि विपक्ष जनता को ‘गुमराह’ करने की कोशिश कर रहा है, और यह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की पात्रता की समय सीमा का विस्तार नहीं है।
भाषा धीरज