सकारात्मक निर्णायक बिंदु को कैसे बढ़ावा दिया जाए और जलवायु कार्रवाई को कैसे तेज किया जाए?
संतोष दिलीप
- 06 Sep 2025, 06:19 PM
- Updated: 06:19 PM
(टिम लेन्टन, निदेशक, ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर)
एक्सेटर (ब्रिटेन), छह सितंबर (द कन्वरसेशन) महासागरीय धाराओं के प्रमुख तंत्र का ध्वस्त हो जाना, बड़े-बड़े बर्फीले मैदानों का पिघलना या आमेजन के वर्षावन का नष्ट होना, ये सभी जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक निर्णायक बिंदु (निगेटिव टिपिंग पॉइंट) के उदाहरण हैं। ये जलवायु परिवर्तन से जुड़े बड़े खतरे हैं, जिसके तहत हानिकारक बदलाव एक के बाद एक करके अपने आप होने लगता है। इनमें से कोई भी पर्यावरण आपदा का कारण बन सकता है, जिससे करोड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं।
ऐसे अपरिवर्तनीय और अत्यधिक विनाशकारी परिणामों की आशंका अब और अधिक निकट आती जा रही है, क्योंकि वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की सीमा पार होने वाली है।
हर साल और इस सीमा (1.5 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर प्रत्येक 0.1 डिग्री सेल्सियस तापमान के बढ़ने से यह खतरा बढ़ जाता है कि जलवायु में ऐसे बदलाव हो सकते हैं, जिन्हें रोका नहीं जा सकेगा। इनसे बचने के लिए जलवायु कार्रवाई को तेजी से बढ़ाना होगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था से कार्बन उत्सर्जन को वर्तमान गति से पांच गुना तेजी से कम करना होगा, तभी हमारे पास पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित रखने की संभावना होगी।
यह सुनकर डर और चिंता होना स्वाभाविक है। हम अस्तित्वगत संकटों का सामना कर रहे हैं, और उनसे बचने के लिए असाधारण सामाजिक और तकनीकी बदलावों की आवश्यकता है।
मौजूदा समय में कई देशों द्वारा जलवायु प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने के कारण, निराशा या हताशा महसूस करना स्वाभाविक है।
लेकिन फिर भी कुछ शर्तों के तहत आशा की किरणें दिखाई देती हैं जो सकारात्मक बदलाव में निहित हैं -जब शून्य-उत्सर्जन वाले व्यवहार और तकनीकों में बदलाव स्वतः संचालित रूप से होने लगते हैं। अब हमारे पास संकट से बाहर निकलने का एकमात्र व्यावहारिक रास्ता यही है, क्योंकि हमने बहुत देर कर दी है-अब धीरे-धीरे बदलाव लाने से काम नहीं चलेगा।
‘टिपिंग पॉइंट’ तब आता है, जब किसी प्रणाली में बदलाव की गति इतनी तेज हो जाती है कि वह अपने-आप को आगे बढ़ाने लगता है, जैसे कि किसी माइक को बहुत पास लाने पर स्पीकर में तेज़ गूंज पैदा होती है। इतिहास बताता है कि ऐसे बदलाव सामाजिक प्रणालियों में भी कई बार हो चुके हैं।
राजनीतिक क्रांतियों के बारे में सोचिए, या सामाजिक मान्यताओं में अचानक आए बदलावों के बारे में-जैसे सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान का निषेध, या घोड़ा गाड़ियों से कारों की ओर तेजी से हुआ परिवर्तन।
अच्छी ,बात यह है कि मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान देने वाली लगभग हर चीज को शून्य उत्सर्जन की दिशा में सकारात्मक रूप से बदला जा सकता है। किसी प्रणाली को उस टिपिंग पॉइंट (बदलाव के निर्णायक बिंदु) तक पहुंचाने में मेहनत लगती है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यह बदलाव पहले ही आ चुका है, कम से कम कुछ देशों में।
नॉर्वे ने एक दशक में पेट्रोल और डीजल कारों से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख कर लिया। ब्रिटेन ने अचानक कोयले का इस्तेमाल बंद कर दिया। हालांकि, गैस ने कुछ समय के लिए बिजली उत्पादन में कोयले की जगह ले ली, लेकिन तेजी से बढ़ती नवीकरणीय ऊर्जा ने अब कोयले की जगह ले ली है और गैस की जगह भी लेने लगी है।
यह बदलाव अचानक नहीं हुआ। हमारे समाज को शून्य उत्सर्जन तक ले जाने के लिए हम सभी को जानबूझकर, सोच-समझकर काम करना होगा।
नॉर्वे में, 1980 के दशक के अंत में सामाजिक कार्यकर्ताओं, जिनमें पॉप बैंड ए-एचए के सदस्य भी शामिल थे, ने सरकार पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों का एक पैकेज अपनाने का दबाव डाला।
ब्रिटेन में बिजली क्षेत्र में कार्बन की बढ़ती न्यूनतम कीमत ने इस बदलाव को शुरू किया।
‘टिपिंग पॉइंट’ की खासियत
मेरी नई किताब ‘पॉजिटिव टिपिंग पॉइंट्स: हाऊ टू फिक्स क्लाइमेट क्राइसिस’ में, मैंने बताया है कि कैसे एक छोटा सा बदलाव बड़ा अंतर ला सकता है। इसका मतलब है कि हम सभी सकारात्मक बदलाव को शुरू करने में अपना योगदान दे सकते हैं।
हम सभी यह तय करते हैं कि हम क्या इस्तेमाल करें। कम उत्सर्जन वाली तकनीक या व्यवहार (जैसे कम मांस खाना) अपनाकर हम दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि लोग एक-दूसरे की नकल करते हैं, और जितने अधिक लोग कोई चीज अपनाते हैं, उतने ही अधिक लोगों को वे इसे अपनाने के लिए प्रभावित कर सकते हैं - इसे ‘सामाजिक संक्रामकता’ कहा जाता है।
प्रौद्योगिकी के मामले में “फायदा बढ़ाने” के और भी कारण होते हैं: जितने अधिक लोग नई प्रौद्योगिकी अपनाएंगे, वह उतनी ही बेहतर होगी (अनुभव से सीखकर), उतनी ही सस्ती होगी (मात्रा में बढ़ोतरी के कारण) और उससे जुड़ी दूसरी प्रौद्योगिकी भी विकसित होंगी, जो इसे और उपयोगी बनाएंगी। इसी तरह सोलर पीवी पैनल, विंड टरबाइन और ईवी को ऊर्जा देने वाली बैटरी लगातार सस्ती, बेहतर और आसानी से उपलब्ध होती गई है।
हममें से कुछ लोग मिलकर सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, ताकि विनाशकारी नकारात्मक जलवायु परिवर्तन से बचा जा सके।
(कन्वरसेशन)
संतोष