जीएसटी स्लैब के सुचारू क्रियान्वयन का भरोसा, उद्योग से मिलकर सॉफ्टवेयर को उन्नत बना रहे: सीबीआईसी
रमण अजय
- 04 Sep 2025, 08:51 PM
- Updated: 08:51 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने विश्वास जताया है कि अगली पीढ़ी के जीएसटी में सुचारू बदलाव के लिए 22 सितंबर तक उसकी प्रौद्योगिकी तैयार हो जाएगी और रिटर्न फाइलिंग के लिए सॉफ्टवेयर को उन्नत बनाने को लेकर उद्योग के साथ बातचीत जारी है।
अग्रवाल ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि कर की दर और स्लैब में बदलाव 'योग्यता' और 'मानक' के आधार पर वस्तुओं और सेवाओं के वर्गीकरण पर आधारित है, जबकि 2017 में यह राजस्व तटस्थता के आधार पर था।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) एक जुलाई, 2017 को लागू हुआ था और इसमें एक दर्जन से ज्यादा स्थानीय कर शामिल किए गए थे। ये कर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से लगाए गए थे, इसके अलावा विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर भी लगाया गया था।
केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद ने बुधवार को स्लैब को घटाकर केवल दो करने का फैसला किया। इनमें कर की दरें पांच और 18 प्रतिशत होंगी तथा अति-विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर होगी।
तंबाकू और संबंधित वस्तुओं को छोड़कर, ये कर दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘दरों में कई बदलाव हुए हैं...। हमें विश्वास है कि हमारे पास उपलब्ध करीब दो सप्ताह के समय में हम नए शुल्कों और नई शुरुआत के लिए पूरी तरह तैयार होंगे। जीएसटी विभाग ने पहले ही उद्योग जगत से संपर्क कर लिया है और उन्हें सूचित कर दिया है ताकि वे भी अपनी जीएसटी संबंधी प्रणालियों को उन्नत कर सकें।’’
अग्रवाल ने कहा, ‘‘वे (उद्योग जगत) इन बदलावों को अपने एकीकृत सॉफ्टवेयर प्रणालियों (ईआरपी) में भी शामिल कर सकते हैं, ताकि शुरुआत सुचारू रूप से हो और इसमें कोई गड़बड़ी न हो। हमें इस बात का पूरा भरोसा है।’’
कर दरों में कटौती के बाद बचे हुए माल पर एकत्रित आईटीसी को लेकर उद्योग की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि उद्योग 22 सितंबर से नई कर दरें लागू होने के बाद भी अपने पूरे आईटीसी दावों का उपयोग करके जीएसटी बकाया का भुगतान कर सकता है।
सीबीआईसी प्रमुख ने कहा, ‘‘जब वे 22 सितंबर से सामान बेचेंगे या आपूर्ति करेंगे, तो नई दरें लागू होंगी। तब वे आईटीसी का उपयोग कर सकेंगे। यह उन्हें रिटर्न दाखिल करते समय शुल्क भुगतान के लिए उपलब्ध होगा।’’
जीएसटी दरों में बदलाव के बाद एसी, वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर और टीवी (32 इंच से ऊपर) जैसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और छोटी कारों पर कर की दर 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो गई है।
इसके अलावा, पेट्रोल इंजन वाली 1200 सीसी और डीजल इंजन वाली 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली बड़ी कारों पर कर की दर 40 प्रतिशत कर दी गई है, जो वर्तमान कर दर लगभग 50 प्रतिशत से काफी कम है।
उन्होंने कहा कि आईटीसी का संचय बहुत कम समय के लिए होगा और जैसे-जैसे उद्योग इसका उपयोग करों के भुगतान के लिए करेंगे, व्यवस्था फिर से सुचारू हो जाएगी।
जीएसटी कानून के तहत, कंपनियां अपनी कर देनदारी का 99 प्रतिशत तक आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का उपयोग करके चुका सकती हैं और शेष देनदारी का भुगतान नकद में किया जा सकता है।
अग्रवाल ने कहा कि चूंकि कंपनियां आईटीसी का उपयोग करके करों का भुगतान करती हैं, इसलिए मासिक संग्रह में कुछ गिरावट आ सकती है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘जब भी बदलाव के दौरान दरों को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया होगी, राजस्व संग्रह में कुछ गिरावट आएगी, लेकिन हमारा अनुभव है कि खपत बढ़ने से जीएसटी संग्रह में वृद्धि होगी। दरों को युक्तिसंगत बनाने से आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि, जीडीपी में वृद्धि और कुल मिलाकर बेहतर संग्रह होगा।’’
उन्होंने कहा कि राजस्व में उछाल दो-तीन महीनों में बढ़ना चाहिए और संग्रह में सुधार होने लगेगा। इसके अलावा, 22 सितंबर को नवरात्रि से शुरू होने वाले त्योहारों में पहले से दबी हुई मांग के कारण दरों में कटौती के बावजूद बिक्री और जीएसटी संग्रह में वृद्धि होने की उम्मीद है।
अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लागू होने के समय, किसी भी वस्तु पर कर की दर तय करने का मुख्य आधार तत्कालीन उत्पाद शुल्क या वैट दर के आधार पर राजस्व तटस्थता थी। इसी सिद्धांत के अनुसार, सीमेंट को 28 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया था।
हालांकि, वर्तमान युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया में, वस्तुओं और सेवाओं को 'योग्यता और मानक' के रूप में वर्गीकृत किया गया था और राजस्व को ध्यान में रखे बिना उन पर कर कम कर दिए गए थे।
सीबीआईसी प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि दो-तीन महीनों में संग्रह में फिर से तेजी आएगी और राजस्व अपने वर्तमान स्तर पर वापस आ जाएगा।’’
नयी दरों के क्रियान्वयन के लिए 22 सितंबर की तारीख चुने के बारे में पूछे जाने पर, अग्रवाल ने कहा कि ग्राहक दरों में कटौती की उम्मीद में अपनी खरीदारी में देरी कर रहे थे और उद्योग जगत से जल्द कर लागू करने की मांग आने लगी थी।
उन्होंने कहा कि इसलिए, जीएसटी परिषद की बैठक तुरंत आयोजित की गई और यह निर्णय लिया गया कि नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी, जो नवरात्रि का पहला दिन है और इसी दिन से त्योहार शुरू हो जाते हैं।
भाषा
रमण