जीएसटी दर में कटौती से 19 लाख करोड़ रुपये के डेयरी उद्योग में मांग बढ़ेगी: सरकार
राजेश राजेश अजय
- 04 Sep 2025, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि अधिकांश डेयरी उत्पादों को अब या तो कर से मुक्त रखने या केवल पांच प्रतिशत के स्लैब में रखने के निर्णय से 19 लाख करोड़ रुपये के डेयरी उद्योग में मांग को बढ़ावा मिलेगा।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक सरकारी बयान में कहा कि 56वीं जीएसटी परिषद ने बुधवार को हुई अपनी बैठक में दूध और दुग्ध उत्पादों पर व्यापक कर सुसंगतिकरण को मंजूरी दी।
बयान में कहा गया, ‘‘ये सुधार इस क्षेत्र में जीएसटी दरों में सबसे व्यापक सुधारों में से एक हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि अधिकांश डेयरी उत्पाद अब या तो कर से मुक्त हैं या इनपर केवल पांच प्रतिशत की दर से कर लगेगा।’’
22 सितंबर, 2025 से प्रभावी संशोधित ढांचे के तहत, अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (यूएचटी) दूध पर जीएसटी दर पांच प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दी गई है।
पनीर या छेना (पूर्व-पैक और लेबल वाला) पर जीएसटी पांच प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
मक्खन, घी, डेयरी स्प्रेड, पनीर, गाढ़ा दूध, दूध आधारित पेय पदार्थों पर 12 प्रतिशत की जगह अब पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
आइसक्रीम पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत हो जाएगा। बयान में कहा गया है कि दूध के डिब्बों पर 12 प्रतिशत की बजाय पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण कर-सुसंगतिकरण से डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा मिलने और किसानों व उपभोक्ताओं, दोनों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे देश के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।’’
इस सुधार से आठ करोड़ से ज़्यादा ग्रामीण किसान परिवारों, खासकर छोटे, सीमांत और भूमिहीन मज़दूरों को सीधा लाभ होगा जो अपनी आजीविका के लिए दुधारू पशुओं का पालन-पोषण करते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कम कराधान से परिचालन लागत कम करने और मिलावट पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जिसका उत्पादन वर्ष 2023-24 में 23.9 करोड़ टन था, जो वैश्विक दूध उत्पादन का लगभग 24 प्रतिशत है।
भारतीय डेयरी क्षेत्र का कुल बाजार आकार वर्ष 2024 में 18.98 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘ये हालिया जीएसटी सुधार इस क्षेत्र की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और साथ ही स्थायी आजीविका सुनिश्चित करेंगे।’’
भाषा राजेश राजेश