यदि लगता है कि ओबीसी के साथ अन्याय हुआ है तो भुजबल आत्मसम्मान की खातिर इस्तीफा दे दें:राउत
राजकुमार मनीषा
- 04 Sep 2025, 04:28 PM
- Updated: 04:28 PM
मुंबई, चार सितंबर (भाषा) शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर नाराज मंत्री छगन भुजबल को लगता है कि मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ अन्याय हुआ है, तो उन्हें अपने आत्मसम्मान की रक्षा हेतु नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
राउत ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने चुनौती खड़ी करने के लिए मराठा आरक्षण विरोध प्रदर्शन की योजना बनाने का भी आरोप लगाया।
कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को सरकार द्वारा उनकी ज़्यादातर मांगें मान लिये जाने के बाद मराठा आरक्षण के मुद्दे पर यहां पांच दिनों की अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली। सरकार ने पात्र मराठों को कुनबी (ओबीसी) जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक सरकारी आदेश भी जारी किया।
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल ने स्वीकार किया है कि उनके समुदाय के साथ अन्याय हुआ है और वह अब भी उस मुख्यमंत्री के अधीन काम कर रहे हैं जिन्होंने अन्याय किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह किसी समुदाय का नेतृत्व कर रहे हैं और उसके साथ अन्याय हुआ है...अगर किसी को सचमुच ऐसा लगता है, तो उन्हें (भुजबल को) मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। (पूर्व केंद्रीय मंत्री) सी. डी. देशमुख ने (पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल) नेहरू से मतभेद होने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया था।’’
राउत ने कहा, ‘‘आप (भुजबल) मंत्रिमंडल की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि आपको मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं है। ऐसी स्थिति में, उन्हें (भुजबल को) नैतिक आधार और आत्मसम्मान के वास्ते इस्तीफा दे देना चाहिए। आपको अपना इस्तीफा सौंपकर इसके कारण स्पष्ट करने चाहिए।’’
भुजबल बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक में शामिल नहीं हुए और बाद में उन्होंने आरक्षण के लिए पात्र मराठों को कुनबी का दर्जा देने के सरकारी आदेश पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने संकेत दिया कि वह इसे कानूनी रूप से चुनौती देंगे।
जरांगे ने मंगलवार को कुनबी (ओबीसी) जाति प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के बाद अपने समुदाय के सदस्यों को आरक्षण का लाभ मिलने का भरोसा जताया।
उप-मुख्यमंत्री शिंदे पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए राउत ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार में कुछ लोग चाहते थे कि जरांगे अपनी भूख हड़ताल वापस न लें और फडणवीस सरकार मुश्किल में पड़ जाए।
राउत ने कहा, ‘‘(उप-मुख्यमंत्री एकनाथ) शिंदे को दूर रखने के पीछे फडणवीस की क्या राजनीतिक रणनीति थी? क्योंकि शिंदे का नाम बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को मुंबई लाने में आया है। उनका (शिंदे का) मुख्य उद्देश्य आरक्षण हासिल करना नहीं, बल्कि देवेंद्र फडणवीस के सामने चुनौती खड़ी करना था।’’
भाषा राजकुमार