भेदिया कारोबार नियमों के अनुपालन के लिए बैंकों का आंतरिक नियंत्रण जरूरीः सेबी चेयरमैन
प्रेम प्रेम अजय
- 03 Sep 2025, 05:29 PM
- Updated: 05:29 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बुधवार को कहा कि भेदिया कारोबार नियमों का पालन करना बैंकों के प्रबंधन की नैतिक जिम्मेदारी है और उन्हें ऐसे उल्लंघनों का पता लगाने एवं उन पर रोक लगाने के लिये आंतरिक नियंत्रण को मजबूत करना होगा।
सेबी प्रमुख ने बैंकों के प्रबंध निदेशकों एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भेदिया कारोबार का खतरा वहीं पनपता है, जहां नियंत्रण कमजोर होते हैं, प्रक्रियाएं अस्पष्ट रहती हैं, जिम्मेदारियां तय नहीं होतीं और निगरानी असंगत रहती है।’’
उन्होंने कहा कि बैंकों के भीतर का कमजोर नियंत्रण होना कई धोखाधड़ियों की जड़ है।
भेदिया कारोबार वह स्थिति है जब किसी कंपनी से जुड़ा व्यक्ति कंपनी की सार्वजनिक रूप से अप्रकाशित जानकारी का इस्तेमाल कर शेयरों की खरीद-फरोख्त करता है और अनुचित लाभ कमाता है।
सेबी प्रमुख की यह टिप्पणी जून में इंडसइंड बैंक के कुछ शीर्ष अधिकारियों द्वारा भेदिया कारोबार नियमों के उल्लंघन के मामले में जारी सेबी के अंतरिम आदेश की पृष्ठभूमि में आई है।
बाजार नियामक ने पाया था कि निजी क्षेत्र के इस बैंक के कुछ वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें प्रबंध निदेशक एवं सीईओ और डिप्टी सीईओ भी शामिल थे, अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील सूचना (यूपीएसआई) का इस्तेमाल कर बैंक के शेयरों में लेनदेन कर रहे थे।
पांडेय ने कहा कि एक मजबूत आंतरिक नियंत्रण ढांचा यूपीएसआई की जिम्मेदारी तय करता है, समय पर अधिक सटीक खुलासा सुनिश्चित करता है और कर्मचारियों में स्पष्ट समझ विकसित करता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि बैठक या ईमेल में इस तरह की सूचना का साधारण-सा आदान-प्रदान भी गंभीर उल्लंघन माना जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल, बाहर आई एक भी सूचना डिजिटल नेटवर्क पर सेकंड में फैल जाती है और इससे शेयर मूल्य, निवेशकों का भरोसा और बैंक की साख को नुकसान पहुंचता है।’’
सेबी चेयरमैन ने यह भी रेखांकित किया कि बैंक खुद सूचीबद्ध इकाई होने के साथ अन्य सूचीबद्ध कंपनियों की संवेदनशील जानकारी के संरक्षक भी हैं।
उन्होंने बैंकों के निदेशक मंडलों से कहा कि भेदिया कारोबार निषेध नियमों (पीआईटी) के तहत अनुपालन अधिकारी की भूमिका कभी औपचारिक न हो बल्कि उन्हें अधिकार, प्रशिक्षण, उपकरण और नेतृत्व का स्पष्ट समर्थन मिले।
उन्होंने कहा कि संवेदनशील समय में लेनदेन पर नजर रखने के लिए तकनीकी समाधान विकसित करने की जरूरत है ताकि अनुपालन टीमों का बोझ कम हो सके।
भाषा प्रेम प्रेम