मराठा आरक्षण आंदोलन: जरांगे ने कहा कि सरकार से बातचीत के लिए तैयार, फडणवीस पर बरसे
सुरभि वैभव
- 02 Sep 2025, 01:42 PM
- Updated: 01:42 PM
(फोटो के साथ)
मुंबई, दो सितंबर (भाषा) मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनशन कर रहे आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को कहा कि वह सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में जरांगे का अनशन मंगलवार को पांचवें दिन भी जारी है। उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को राज्य की राजधानी में प्रवेश करने से कोई नहीं रोक सकता।
उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (आरक्षण आंदोलन के बारे में) मुंबई उच्च न्यायालय को गलत जानकारी दे रहे हैं और उन्हें इसकी ‘‘कीमत चुकानी’’ पड़ेगी।
आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि इस सप्ताहांत तक मराठा प्रदर्शनकारियों को मुंबई आने से कोई नहीं रोक सकता।
जरांगे ने दावा किया, ‘‘आपको पता ही नहीं चलेगा कि वे मुंबईकर हैं या मराठा। अगले सोमवार जो भी होगा, वह फडणवीस की गलती की वजह से होगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनके मन में मुख्यमंत्री के प्रति कोई कड़वाहट नहीं है।
जरांगे ने मराठा प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की भी अपील की और कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार उनकी आरक्षण की मांग स्वीकार करे और मराठों को कुनबी (अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल एक कृषि प्रधान जाति) के रूप में मान्यता देते हुए एक सरकारी आदेश जारी करे, जिससे कि वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बन सकें।
जरांगे ने कहा कि अगर उनकी मृत्यु भी हो जाए, तब भी मराठा समाज को शांत एवं संयमित रहना चाहिए।
मुंबई पुलिस ने मंगलवार को जरांगे और उनकी टीम को एक नोटिस जारी कर उन्हें जल्द से जल्द आजाद मैदान खाली करने को कहा। पुलिस का कहना है कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन की शर्तों का उल्लंघन किया है।
इससे पूर्व मुंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को उनके समर्थकों से मंगलवार दोपहर तक मुंबई की सभी सड़कें खाली करने और सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि जरांगे के दावे के अनुसार अब से कोई भी अतिरिक्त प्रदर्शनकारी मुंबई में प्रवेश न करे।
आजाद मैदान में अपने आंदोलन के पांचवें दिन 43 वर्षीय आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘मैं सरकार से बातचीत के लिए तैयार हूं।’’
उन्होंने चेतावनी दी, ‘‘अगर आप हदें पार करेंगे तो मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं। जब तक मेरी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, मैं यहां से नहीं जाऊंगा। अगर आप हमें गिरफ्तार करने या मुंबई से निकालने की कोशिश करेंगे, तो यह आपके लिए ठीक नहीं होगा।’’
जरांगे ने कहा कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बताना चाहते हैं कि वह मुंबई से बाहर नहीं जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि उच्च न्यायालय गरीब मराठों को न्याय देगा। हम उच्च न्यायालय के सभी निर्देशों का पालन कर रहे हैं। 4,000 से 5,000 प्रदर्शनकारी हैं। अगर आप चाहें तो हमें घर दे दें।’’
जरांगे ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री फडणवीस उच्च न्यायालय को गलत जानकारी दे रहे हैं और उन्हें ‘‘इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी’’।
उन्होंने कहा कि सरकार को एक सरकारी आदेश जारी करना चाहिए जिसमें कहा जाए कि वह मराठों को कुनबी घोषित करने के लिए हैदराबाद और सतारा राजपत्र लागू कर रही है।
जरांगे ने कहा कि ओबीसी समुदाय से जुड़े आरक्षण के लाभों को पात्र मराठों के ‘‘सगे-सोयरे’’ (सगे संबंधियों) तक बढ़ाने वाली अधिसूचना को भी तुरंत लागू किया जाना चाहिए।
प्रदर्शन स्थल पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि शनिवार को आजाद मैदान में उनसे मिले उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे ने उन्हें बताया था कि हैदराबाद और सतारा राजपत्र का अध्ययन पूरा हो चुका है।
जरांगे ने कहा कि उन्हें 100 प्रतिशत भरोसा है कि अदालत मराठा समुदाय को न्याय देगी।
भाषा सुरभि