मराठा आरक्षण मुद्दे पर सुनवाई से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने महाराष्ट्र के मंत्री से मुलाकात की
सुरभि मनीषा
- 02 Sep 2025, 12:58 PM
- Updated: 12:58 PM
मुंबई, दो सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के विशेष पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) मनोज कुमार शर्मा ने मंगलवार को कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल से मुलाकात की। पाटिल मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख हैं।
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे का प्रदर्शन पांचवें दिन भी जारी है।
यह मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मुंबई उच्च न्यायालय आज ही दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में जारी आंदोलन से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करने वाला है।
सूत्रों ने बताया कि विशेष पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) शर्मा ने विखे पाटिल से यहां उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
जरांगे 29 अगस्त से आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। उनकी मांग है कि मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी (अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल एक कृषि प्रधान जाति) के रूप में मान्यता दी जाए। यह एक ऐसा वर्गीकरण है जिससे उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के तहत लाभ मिल सकेगा।
उन्होंने समुदाय के दावे को पुख्ता करने के लिए हैदराबाद और सतारा राजपत्र से संदर्भ शामिल करने पर भी जोर दिया है।
जरांगे ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे, जबकि पुलिस ने उन्हें और उनकी टीम को नोटिस जारी कर आजाद मैदान खाली करने को कहा है।
सोमवार को मुंबई उच्च न्यायालय ने आंदोलन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसके कारण मुंबई ‘‘बिल्कुल ठप’’ पड़ गई है, क्योंकि इसने सभी निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया है।
अदालत ने कहा कि वह जरांगे और उनके समर्थकों को यह सुनिश्चित करने का अवसर दे रही है कि मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली और साफ कर दी जाएं।
अदालत ने कहा कि जरांगे का आमरण अनशन एक ‘‘स्पष्ट धमकी’’ है और सरकार ने अब तक सड़कें साफ करने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है।
जरांगे पिछले कुछ वर्षों से मराठा आरक्षण आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी में मराठों के लिए ‘कुनबी’ प्रमाणपत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू किया था।
सरकार ने इस मुद्दे की जांच के लिए विखे पाटिल की अध्यक्षता में एक उप-समिति का गठन किया है और जरांगे के साथ कई दौर की बातचीत की है।
हालांकि, आरक्षण कार्यकर्ता अपने इस रुख पर अड़े हुए हैं कि सभी मराठों को ‘कुनबी’ का दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि बिना किसी कानूनी बाधा के उन्हें ओबीसी आरक्षण में शामिल किया जा सके।
पिछले साल, महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया था जिसमें मराठा समुदाय को एक अलग श्रेणी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था। हालांकि, जरांगे ने इस विधेयक को यह तर्क देते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह अदालत के दिशानिर्देश के अनुकूल नहीं है और उन्होंने ओबीसी आरक्षण लाभ की अपनी मांग दोहराई।
इस आंदोलन से राज्य के विभिन्न हिस्सों में जनजीवन कई बार बाधित हुआ है और प्रदर्शन के पिछले कई चरणों में बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने और सड़क जाम होने की खबरें आई हैं।
भाषा सुरभि