श्रीमंत शंकरदेव का ‘वृंदावनी वस्त्र’ असम में प्रदर्शन के वास्ते देने पर राजी हुआ ब्रिटिश संग्रहालय
राजकुमार अमित
- 30 Aug 2025, 03:12 PM
- Updated: 03:12 PM
(फाइल फोटो के साथ)
गुवाहाटी, 30 अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि लंदन स्थित ब्रिटिश संग्रहालय ने 16वीं शताब्दी में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव द्वारा निर्मित रेशमी वस्त्र ‘वृंदावनी वस्त्र’ को 2027 में प्रदर्शित करने के वास्ते राज्य को कुछ समय के लिए देने पर सहमति जतायी है।
शर्मा ने कहा कि ब्रिटिश संग्रहालय ने 2027 में 18 महीनों तक असम में ‘वृंदावनी वस्त्र’ प्रदर्शित करने के लिए एक अत्याधुनिक संग्रहालय समेत कुछ शर्तें रखी हैं।
शर्मा ने कहा, ‘‘हम लंबे समय से इस वस्त्र को लाने की कोशिश कर रहे थे ताकि लोग इसे देख सकें। अब ब्रिटिश संग्रहालय इसे प्रदर्शित करने के वास्ते कुछ समय के लिए देने पर सहमत हो गया है, बशर्ते राज्य में जरूरी माहौल और सुरक्षा मानकों को पूरा करने वाला एक संग्रहालय स्थापित किया जाए।’’
उन्होंने बताया कि जेएसडब्ल्यू समूह की कंपनियां अपनी कॉर्पेरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत एक संग्रहालय स्थापित करने और उसे असम को उपहार स्वरूप देने के लिए आगे आई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने इस उद्देश्य के लिए उन्हें जमीन आवंटित कर दी है। अब, लंबे समय के बाद, हम राज्य में उस वस्त्र को लाने के अपने सपने की दिशा में बढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटिश संग्रहालय के अधिकारियों ने राज्य का दौरा किया और मौजूदा संग्रहालयों का निरीक्षण किया, लेकिन उन्हें ये संग्रहालय उस वस्त्र को प्रदर्शित करने के लिए उपयुक्त नहीं लगे, इसलिए ‘‘हमने एक नया संग्रहालय बनाने का फैसला किया।’’
शर्मा ने कहा, ‘‘मैंने केंद्र को पहले ही ‘‘संप्रभु गारंटी’’ के लिए पत्र लिखा है, जो ब्रिटिश संग्रहालय को यह शपथपत्र देने के लिए है कि इसे 18 महीने बाद बिना किसी नुकसान के वापस कर दिया जाएगा।’’
‘वृंदावनी वस्त्र’ श्रीमंत शंकरदेव के मार्गदर्शन में बनाया गया था, जिसमें कोच राजा नर नारायण के अनुरोध पर भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों को दर्शाया गया है। इस वस्त्र में श्रीमंत शंकरदेव की लिखी एक कविता का अंश भी है।
ब्रिटिश संग्रहालय ने यह वस्त्र 1904 में तिब्बत से प्राप्त किया था जो साढ़े नौ मीटर लंबा है और रेशम के कई टुकड़ों से बना है। मूल रूप से इसमें 15 अलग-अलग टुकड़े थे जिन्हें बाद में जोड़ा गया था।
यह वस्त्र असम की बुनाई परंपरा का एक अद्भुत उदाहरण है, जिसमें विभिन्न कलात्मक परंपराओं के तत्व शामिल हैं। ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा 1904 में प्राप्त किये जाने से पहले कपड़े को असम से तिब्बत ल जाया गया था।
भाषा राजकुमार